Swami Dhyan Giri Ashram: राजस्थान के खैरथल में स्थित स्वामी ध्यान गिरी का आश्रम एक ऐसा धार्मिक स्थल है जहां न केवल भारत से बल्कि पाकिस्तान से भी लोग यहां भारी संख्या में पहुंचते हैं। जूना अखाड़े के दशनामी संन्यासीस्वामी ध्यान गिरी के आश्रम की स्थापना जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने की थी।
आश्रम से जुड़ा इतिहास
साल 1960 में ध्यान गिरी महाराज चार साल तक पाकिस्तान के थाना बुल्ला खान के आश्रम में रहे थे। जिसके बाद वे मां गंगा के दर्शन के लिए भारत आए थे। यहां वे अपने पुराने साथी संत भारती महाराज से राजस्थान के खैरथल में मिले थे। इस समय भारत पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ी हुई थी, सीमा पर बढ़ते तनाव के कारण वे श्रद्धालुओं के आग्रह पर खैरथल में ही रह गए।
यहां सेठ शामनदास ने उन्हें आश्रम के निर्माण के लिए जमीन दी थी। साल 1975 में भारत सरकार की ओर से उन्हें नागरिकता दी गई। साल 1984 में छह महीने के लिए वे पाकिस्तान गए थे। वर्ष 1992 में महाराज का देवलोकगमन हो गया और उनके शिष्य गोपाल गिरी द्वारा समाधि दी गई थी।
इस आश्रम में न केवल भारत से लोग आते है बल्कि पाकिस्तान से भी लोग वीजा लेकर महाराज के आश्रम पहुंचते हैं। आज के समय में स्वामी ध्यान गिरी आश्रम में संत मंगल गिरी, संत गोपाल गिरी, दत्तात्रेय भगवान की मूर्तियां स्थापित की गई है। साथ ही यहां मेडिटेशन सेंटर का निर्माण भी किया गया है।
इसके साथ ही यहां रक्तदान शिविर, गरीबों के लिए आवश्यक सामग्री, नेत्र जांच शिविर बनाए गए हैं। वहीं खैरथल के राजकीय उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय में बच्चियों के लिए बैग से लेकर ड्रेस, स्वेटर, जूते चप्पल आदि सामान उपलब्ध कराया जाता है।
स्वामी जी की समाधि पर पाकिस्तान से आज भी आते है भक्त
स्वामी ध्यान गिरी जी की समाधि पर काफी बड़ी संख्या में लोग खैरथल आते है। हर साल यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है। स्वामी गोविंद गिरी सालाना कुछ महीनों के लिए पाकिस्तान जरूर जाते हैं। पाकिस्तान के भक्तों के मन में गोविंद गिरी महाराज के प्रति गहरी आस्था है कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष समेत हजारों श्रद्धालु उन्हें लेने एयरपोर्ट पहुंचते हैं।