Ubili Balaji Temple: राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है जहां भक्त प्रसाद लेकर घर नहीं जाते। झुंझुनु जिले के पास खिंवासर गांव में उबली के बालाजी मंदिर स्थित है। यह अपनी अनोखी मान्यताओं के कारण देश भर में प्रसिध्द है। इस मंदिर में श्रद्धालु दही का भोग लगाते हैं और उसके बाद पूरा प्रसाद मंदिर में ही वितरित कर देते हैं।

क्यों बनाई गई ये अनोखी परंपरा
यहां के पुजारी पंडित जगदीश प्रसाद शर्मा बताते हैं कि एक बार कुछ भक्त मंदिर का प्रसाद घर ले गए थे, लेकिन उसके बाद उनके घर में कुछ अनहोनी होने लगी। फिर उन्होंने वापस आकर फिर से पूजा अर्चना की और प्रसाद मंदिर में ही बांट दिया जिससे उन्हें लाभ होने लगा। इसी घटना के बाद से मंदिर का प्रसाद परिसर में ही वितरित करने की परंपरा बन गई। भक्तों द्वारा ही ये नियम बना लिया गया जिसका आज भी भक्तगण श्रद्धा भाव से पालन करते हैं।
पाकिस्तान से लाई गई थी प्रतिमा
इस मंदिर की एक और खास बात है कि यहां विराजमान एक विशेष प्रतिमा पाकिस्तान से लाई गई थी। तब इस मंदिर की महिमा और अधिक बढ़ गई। उबली के बालाजी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का जीवंत प्रतीक बन चुका है। जो भी भक्त मंदिर की परंपराओं का पालन करते हैं उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्ति होती है। भक्तों की हर बाधा दूर हो जाती है।

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इस ख़ास वजह के कारण पाकिस्तान से आई थी प्रतिमा
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि अजादी के पहले यहां के लोग अंग्रेजी सेना में थे। उसमें से एक व्यक्ति की ड्यूटी लाहौर में थी। जहां किसी कारणवश पुलिस ने उसे जेल में बंद कर दिया। तब उस व्यक्ति ने ऊबली के बालाजी को ध्यान करके प्रार्थना की और मन में प्रण किया अगर उसकी रिहाई हो जाती है तो वो लाहौर से प्रतिमा लाकर मंदिर में स्थापित करेगा। बाद में उसकी रिहाई हो जाती है और वह एक सुंदर संगमरमर से बनी हनुमानजी की प्रतिमा लाकर मंदिर में रख देता है। जो आज भी वैसे ही मंदिर में स्थापित है।