Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर शहर में महिला कुश्ती दंगल को शुरू हुए 29 साल हो गए है। यहां महिला कुश्ती दंगल की शुरूआत यदुवीर सिंह सिनसिनी के द्वारा की गई थी। इनके संघर्ष और पहलवानी के जुनून ने बेटियों को कुश्ती अखाड़े में उतारा और समाज के सामने यह उदाहरण रखा कि जो काम लड़के कर सकते हैं, वो काम लड़कियां भी कर सकती है। 

परिवार के 14 सदस्य खेल कोटे के जरीए कर रहे हैं नौकरी

यदुवीर सिंह सिनसिनी ना केवल अपनी बेटियों के लिए नए रास्ते खोले, बल्कि अपनी परिवार के 14 अन्य सदस्यों को भी खेल प्रतीक जागरूक किया। यदुवीर सिंह की भांजी समेत तीनों बेटियां आज के समय में खेल कोटे के माध्यम से सरकारी नौकरी के पद पर है और नए बालक-बालिकाओं को भी कुश्ती की ट्रेनिन देती है। बता दें कि उनके परिवार में 14 सदस्य खेल कोटे के जरिए नौकरी कर रहे हैं। 

1996 से सीखा रहे हैं कुश्ती 

यदुवीर सिंह ने बताया कि साल 1996 से वे अपनी दो भांजी और तीनों बेटियों को कुश्ती सीखा रहे हैं। इसके लिए वे उन्हें पहलवानी के दाव पेंच सिखाने के लिए लोहागढ़ स्टेडियम ले जाते थे, जहां महिला पहलवानों को देखकर लोग यदुवीर सिंह का मजाक बनाते थे और उन्हें लड़कियों को कुश्ती ना करने को कहते थे। लेकिन सब की बातों को असुना कर उन्होंने अपनी सभी बेटियों और भांजियों को कुश्ती करने से नहीं रोका। आज का समय ऐसा है कि बड़े-बड़े पहलवान आज उनकी पीठ थप-थपा कर शाबाशी देते हैं। 

सालों से चलता आ रहा है निशुल्क अखाड़ा 

यदुवीर सिंह के संघर्ष और मेहनत के कारण आज उनकी बेटियां और एक भांजी अंतराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में देश का नाम रोशन कर चुकी है। नीशू फौजदार, आस्था, कुमकुम फौजदार और हेमा आज बड़े सरकारी पद पर नौकरी कर रही है। वहीं एक बेटी शिक्षा विभाग में पी टी आई और एक भांजी एल डी सी के पद पर कार्यरत है। साथ ही एक भांजी सीमा कुंतल बेटियों को कुश्ती सिखाती है। यदुवीर सिंह के दो बेटे भी है, जो पहलवान है और कई सालों से निशुल्क अखाड़ा चला रहे हैं। शहर के कई बच्चे यहां सालों से कुश्ती सिखने आते हैं।