Rajasthan Tourism- बावड़ी एक ऐसी संरचना है, जिसे प्राचीन समय में जल संग्रहण के लिए बनाया जाता था। वह आज के समय में भले ही केवल पर्यटन स्थल के रूप में सिमटकर रह गई हैं, लेकिन इतिहास में इनका बहुत महत्व हुआ करता था।

खासकर राजस्थान जैसे राज्यों में, जहां जल की उपलब्धता कम होती थी, वर्षा जल का संचयन बहुत अधिक आवश्यक हो जाता था। ऐसे में राजस्थान में भारतीय इतिहास की एक से बढ़कर एक बावड़ियां देखने को मिलती हैं। ऐसी ही एक प्रसिद्ध बावड़ी है चांद बावड़ी। आइए जानते हैं इस बावड़ी के बारे में विस्तार से।

चांद बावड़ी

चांद बावड़ी भारतीय इतिहास की एक ऐसी बावड़ी है, जिसे सबसे गहरी बावड़ी के रूप में जाना जाता है। यह बावड़ी राजस्थान की प्राचीनतम बावड़ियों में से एक है, और बताया जाता है कि इसका निर्माण आठवीं से नौवीं शताब्दी के बीच निकुंभ राजवंश के राजा चंद्र ने करवाया था, जिन्हें चांद के नाम से भी जाना जाता था। इसी वजह से इस बावड़ी का नाम चांद बावड़ी पड़ा। यह बावड़ी राजस्थान के आभानेरी गांव में स्थित है, जिसे पहले आभा नगरी के नाम से जाना जाता था।

ज्यामितीय संरचना

अगर इस बावड़ी के निर्माण की बात की जाए, तो इसका निर्माण स्टोन इंटरलॉकिंग पैटर्न के जरिए किया गया है। इस बावड़ी में तीन तरफ से नीचे जाने के लिए सीढ़ियां हैं, जबकि एक तरफ महल का निर्माण करवाया गया है। इस वजह से इस बावड़ी की खूबसूरती और भी अधिक बढ़ जाती है। इसकी गहराई 19.5 मीटर है और यह वर्गाकार आकार में बनाई गई है।

बावड़ी में है कुल 3,500 सीढ़ियां

अगर इसकी सीढ़ियों की कुल संख्या की बात की जाए, तो बताया जाता है कि इसमें कुल 3,500 सीढ़ियां हैं। इस बावड़ी की एक खास बात यह है कि इतनी सीढ़ियां होने के कारण आप जिन सीढ़ियों से नीचे जाएंगे, उन्हीं सीढ़ियों से ऊपर नहीं आ सकते। इसमें नीचे उतरने के लिए दोहरी सोपान व्यवस्था है, जबकि इसके उत्तरी भाग में बहुमंजिला दीर्घा बनाई गई है, जहां से देखने पर इस बावड़ी का दृश्य बहुत ही खूबसूरत नजर आता है।

आज भी मिलते हैं खंडित मूर्तियों के अवशेष

आपको जानकर हैरानी होगी कि राजस्थान के आभानेरी गांव में स्थित यह बावड़ी भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इसकी प्रसिद्धि का कारण इसकी ज्यामितीय संरचना और निर्माण शैली है। इस बावड़ी के पास ही एक हर्षद माता मंदिर भी है, जिसका इतिहास अलाउद्दीन खिलजी के समय से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने अपने आक्रमण में इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था और यहां की सारी मूर्तियों को खंडित कर दिया था। आज के समय में जब आप इस बावड़ी को देखने जाएंगे, तो आपको वहां खंडित मूर्तियों के अवशेष भी देखने को मिलेंगे।

इस बावड़ी की खूबसूरती इतनी अद्भुत है कि यहां बॉलीवुड और हॉलीवुड ही नहीं, बल्कि चीनी फिल्मों की भी शूटिंग हो चुकी है। अगर बॉलीवुड की बात करें, तो इस जगह पर धड़क, भूमि और भूल भुलैया जैसी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। वहीं, हॉलीवुड की द फॉल, बैटमैन और डार्क नाइट जैसी फिल्मों की भी शूटिंग यहां हो चुकी है।

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