Rajasthan Famous Havelis: राजस्थान राज्य की हवेलियां भव्यता, स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है। इन हवेलियों पर प्राचीन वास्तु कला और समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। यह हवेलिया समृद्ध इतिहास और राजाओं के राजसी ठाट बाट के लिए जानी जाती हैं।

राजस्थान की हवेलियां ऐतिहासिक किलों और सदियों पुरानी इमारत में से एक है, जो इस क्षेत्र की समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक विरासत का सार प्रस्तुत करती हैं। ये हवेलियां समृद्ध परिवारों की सफलता और समृद्धि का प्रमाण है। इन हवेलीयों की आकर्षक वास्तुकला, जटिल डिजाइन और समृद्ध ऐतिहासिक महत्व दुनिया भर के आगंतुकों को रोमांचित करती हैं।

1. पटवो हवेली 

राजस्थान के जैसलमेर में सेठ गुमानचन्द बापना ने इस पांच मंजिला हवेली को अपने पाँच पुत्रों के लिए बनाई थी। जैसलमेर की ये सबसे बड़ी हवेली है, जिसे पटवों की हवेली कहा जाता है। पटवों की हवेली का निर्माण लगभग 5 दशकों में हुआ था जिसमे पांचो भाइयों ने अपने अपने हिस्से का निर्माण किया था। 

पटवो की हवेली की वास्तुकला 

यह हवेली पूरी तरह से बलुआ पत्थर से बनाई गई है, जो इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। हवेली में एक सुनहरा अग्रभाग है, जो रेगिस्तान के सूरज की रोशनी से चमकता है। पटवो की हवेली वास्तुकला में राजपूताना और मुगल शैलियों का एक अद्भुत मिश्रण है। ये हवेली अपने अनोखे और अलग अलग खंडों के कारण ब्रोकेड व्यापारियों की हवेली के नाम से भी जानी जाती है। 

2. सालिम सिंह हवेली 

सालिम सिंह की हवेली को जैसलमेर के 19वीं शताब्दी के प्रधानमंत्री सालिम सिंह द्वारा निर्मित करवायी थी, उस समय हवेली में सलीम सिंह का पूरा परिवार रहता था। सालिम सिंह चाहते थे कि उनकी हवेली महारावल के महल से ऊंची बनाई जाए, इसलिए इन्होंने हवेली में दो मंजिल और बनवा दी। लेकिन महारावल को यह बात मंजूर नहीं थी, इस कारण महारावल ने दो मंजिल तुड़वा दी थी।

सालिम सिंह हवेली की वास्तुकला

सालिम सिंह हवेली पहले 9 मंजिला थी, लेकिन अब 7 मंजिला है। जिसके ऊपर की दो मंजिल रंगमहल व शीशमहल लकड़ी की बनी थी, जिन्हे बाद में हटा दिया गया था। इस हवेली की 6वीं मंजिल को जहाजमहल तथा 7वीं मंजिल को मोतीमहल कहा जाता है। कहते हैं कि इस हवेली को तैयार करवाने के लिए बहुत सारे मोतियों का इस्तेमाल किया गया था, इस कारण इसे मोती महल कहा जाता है।

3. नाथमल की हवेली

नाथमल की हवेली का निर्माण जैसलमेर के दीवान नाथमल मेहता ने 19वीं शताब्दी में करवाया था। इसके निर्माण कारीगर लालू और हाथी नामक दो भाईयों ने किया था। यह जैसलमेर की बड़ी हवेलियों में से एक है, जो जैसलमेर की सबसे खूबसूरत हवेलियों में से एक है। इस हवेली का नाम दीवान मेहता नाथमल केनाम पर रखा गया था। इस हवेली में अभी भी कुछ लोग रहते हैं, इसमें जाने का कोई शुल्क नहीं है।

नाथमल की हवेली की संरचना

इस हवेली की बाहरी संरचना में आपको दो अलग अलग स्थापत्य शैली देखने को मिलती हैं, क्योंकि प्रचलित कहानियों के अनुसार इन दोनों भाइयों ने हवेलियां पर दो अलग अलग दिशाओं में काम करना शुरू किया था। इस हवेली के प्रवेश द्वार पर हाथियों की दो मूर्तियां व अंदर दीवारों और खंभों पर भी पेंटिंग की गई हैं। 

4. बागोर हवेली

बागोर की हवेली राजस्थान के उदयपुर में स्थित है, जिसे गगोरी घाट पर पिछोला झील के किनारे बनाया गया है। इस हवेली का निर्माण मेवाड़ के प्रधानमंत्री अमरचंद बड़वा ने पिछोला झील के किनारे उदयपुर में करवाया था। इस हवेली में आज पगड़ियों व कठपुतलीयों का संग्रहालय है, जिसके अंदर विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी रखी हुई है। 

बागोर की हवेली की संरचना 

इस हवेली में 138 कमरे के  साथ ही कई गलियारे और बालकनियाँ, आंगन और छतें भी हैं। हवेली के अंदरूनी हिस्से को जटिल और बढ़िया दर्पण के काम से सजाया गया है, जिसकी कारण शाम के समय रोशनी से हवेली अद्भुत दिखाई देती है। इस हवेली में राजस्थान के पारंपरिक नृत्य और संगीत का आनंद लिया जा सकता है। 

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