Rajasthan Pratapgarh Tourism: राजस्थान के शहर प्रतापगढ़ की खुबसूरती का कोई वर्णन नहीं किया जा सकता है। इस शहर को सर्वप्रथम 26 जनवरी 2008 को जिला के रूप में घोषित किया गया था। वैसे तो इस शहर को औधोगिक विकास के लिए मह्त्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही यह पर्यटकों का फेवरेट सिटी में से एक माना जाता है। तो आइए जानते हैं इस शहर की रोमांचक तथ्यों के बारे में। 

बता दें कि प्रतापगढ़ किसी पहचान का मोहताज नहीं है, यहां की कांच के आभूषण बनाने की कला 'थेवा' दुनियाभर में मशहूर हैं। वहीं यह शहर मसालों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। यहां के जिरालुन और हींग विश्व भर में काफी फेमस है। यहां के अधिकांश लोग किसान हैं, क्योंकि यहां की जमीन खेती के लिए बहुत उपजाऊ माना जाता है। इसलिए यहां मुख्य रूप से सभी लोग खेती ही करते हैं। इस शहर में अफीम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। 

प्रतापगढ़ शहर का इतिहास

इस शहर की स्थापना 1698 में हुई थी। शहर का नाम राजकुमार प्रतापसिंह के नाम पत्र रखा गया, जब इस शहर को देवगढ़ से अलग होकर एक नया शहर बनाया गया था। कहा जाता है कि जब चित्तौड़गढ़ के राजा महाराणा कुम्भा ने अपने पारिवारिक विवाद की वजह से अपने भाई क्षेमकर्ण को राज्य से निकाल दिया था, तब वह देवगढ़ शहर में शरणार्थी रहे, लेकिन बाद में इनका बेटा राजकुमार सूरजमल ने 1514 ई में देवगढ़ पर अपना शासन जमा लिया, लेकिन देवगढ़ का वातावरण शाही परिवार रहने लायक नहीं था‌। इसलिए कुछ समय बाद राजकुमार सूरजमल के बेटे प्रताप सिंह ने इस शहर की स्थापना की। 

घूमने के जगह

इस शहर में औधोगिक के साथ साथ घूमने के बहुत सारे जगह हैं। यहां लोग पहाड़-पठार से घिरे खुबसूरत प्रकृतिक सुन्दरता को देखने के लिऐ दूर-दूर से आते हैं। इस जिले में एक सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य बनी हुई है, जो पर्यटक का मुख्य केन्द्र है। इसके अलावा यहां गौतमेश्वर मंदिर है, जो राजस्थान के हरिद्वार के नाम से फेमस है। यहां के बाबा भयहरण नाथ धाम और जागम जलाशय भी पर्यटन का केंद्र है।