Rajasthan tourism- अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं और राजस्थान घूमने जा रहे हैं तो यह राज्य आपका खुली बाहों से स्वागत करेगा। इस राज्य में ऐतिहासिक स्थलों की कमी नहीं है। इस राज्य के कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जिन्हें यूनेस्को ने भी अपने वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल किया है, आईए उन पर्यटन स्थलों के बारे में जानते हैं।
1. राजस्थान के पहाड़ी किले
चित्तौड़ किला
चित्तौड़ किला वर्तमान में चित्तौड़गढ़ शहर में स्थित है, जो कभी मेवाड़ की राजधानी हुआ करता था। यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल यह किला भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है। इस किले में कुल 65 ऐतिहासिक संरचनाएं हैं, जिनमें 19 बड़े मंदिर, 20 बड़े जल निकाय, चार स्मारक, चार महल और कुछ विजय मीनारें शामिल हैं।
मोरी शासक चित्रांगदा मोरी द्वारा बनवाया गया यह किला 180 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। 280 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ यह किला बेराच नदी द्वारा बनाई गई घाटी के मैदान पर स्थित है। इस किले को चित्तौड़गढ़ भी कहा जाता है, जिसे मूल रूप से चित्रकूट कहा जाता था। इस किले को 2013 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल किया गया था।
आमेर किला
आमेर फोर्ट, राजस्थान की राजधानी जयपुर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह विशुद्ध हिंदू वास्तुकला का एक ऐसा उदाहरण है, जिसे 2013 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल किया गया। यह किला लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना है। इस किले का नाम इसके नजदीक में ही स्थित अंबिकेश्वर मंदिर के नाम पर पड़ा है। इस किले से नीचे देखने पर आपको मावठा लेक देखने को मिलेगी, जो इस किले की जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है।
जैसलमेर किला
जैसलमेर किला राजस्थान का दूसरा सबसे पुराना किला है। इस किले का निर्माण लगभग 1155 ई. में तत्कालीन सम्राट रावल जैसल द्वारा करवाया गया था। इस किले को स्वर्ण किला भी कहा जाता है। यह किला 1500 फीट लंबा और 750 फीट चौड़ा है। जून 2013 में, इस किले को आमेर फोर्ट, रणथंभौर फोर्ट, कुंभलगढ़ फोर्ट, गागरोन फोर्ट और चित्तौड़ फोर्ट के साथ वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल किया गया।
गागरोन फोर्ट
गागरोन फोर्ट राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित एक किला है। जून 2013 में राजस्थान के पांच दुर्गों के साथ इस किले को भी यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल किया गया था। यह किला आहू नदी और काली सिंध नदी के संगम पर स्थित है।
यह किला दो तरफ से नदी, एक तरफ से पहाड़ी और एक तरफ से खाई से घिरा हुआ है। इस किले में कभी 92 मंदिर हुआ करते थे तथा सौ साल का पंचांग भी यहीं बना था। इस किले के प्रवेश द्वार के निकट ही सूफी संत ख्वाजा हमीदुद्दीन चिश्ती की दरगाह है।
कुंभलगढ़ फोर्ट
चीन की दीवार के पश्चात राजस्थान के कुंभलगढ़ किले की दीवार दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है। कुंभलगढ़ किला राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है। इस किले की दीवार 36 किलोमीटर लंबी और 21 फुट चौड़ी है, वहीं इस किले की ऊंचाई 3568 फीट है। इस किले का निर्माण राणा कुंभा ने 1459 ईस्वी में करवाया था। महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के युद्ध के समय इसी दुर्ग में अपना काफी समय बिताया था।
रणथंभौर का किला
रणथंभौर का किला राजस्थान के इतिहास के सबसे पुराने किलों में से एक के रूप में जाना जाता है। इसका निर्माण तराइन के युद्ध के समय पृथ्वीराज चौहान के तीसरे बेटे गोविंद राज ने करवाया था। इस किले का नामकरण दो पहाड़ियों के नाम पर किया गया है। पहली पहाड़ी है "रण," जिसके ऊपर यह किला स्थित है, और दूसरी पहाड़ी है "थंभ," जिसके ऊपर इस किले के दुर्ग की स्थापना की गई है। इस किले में नौलखा दरवाजा, तोरण द्वार, और कई अन्य पर्यटक आकर्षण केंद्र हैं।
2. जयपुर
गुलाबी शहर जयपुर भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी है। तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ यह शहर अपनी संस्कृति, परंपरा और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि 1876 ईस्वी में ब्रिटिश जमींदार सवाई रामसिंह ने एलिजाबेथ, प्रिंस ऑफ वेल्स और युवराज अल्बर्ट का स्वागत करने के लिए पूरे शहर को गुलाबी रंग से सजवा दिया था।
इसलिए इस शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा। जुलाई 2019 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल किए गए इस शहर को आमेर के राजा सवाई जय सिंह ने स्थापित करवाया था। इस शहर को सर्वप्रथम स्टैनली रीड ने "पिंक सिटी" का नाम दिया था। यह गोल्डन ट्रायंगल का हिस्सा है, जो भारत का टूरिस्ट सर्किट है। गोल्डन ट्रायंगल के अंतर्गत दिल्ली, आगरा और जयपुर आते हैं, जो मानचित्र पर देखने में एक त्रिभुज का निर्माण करते हैं।
3. केवलादेव नेशनल पार्क
केवलादेव नेशनल पार्क 28 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ एक वन क्षेत्र है जो भारत के वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शामिल है। राजस्थान के भरतपुर में स्थित होने के कारण इसे भरतपुर पक्षी विहार भी कहा जाता है। यह पक्षी विहार अपने यहां आने वाले साइबेरियन पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है जो सर्दियों में माइग्रेट करके भारत आती है। यह नेशनल पार्क उन पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है जो या तो लुप्तप्राय है या दुर्लभ रूप से देखे जाते हैं। इस पक्षी विहार को 1982 में नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया।
4. जयपुर का जंतर मंतर
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित जंतर मंतर भारत के इतिहास की महानता का एक जीवंत उदाहरण है। यह एक खगोलीय वेधशाला है, जिसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वारा करवाया गया था। सवाई जयसिंह ने खगोलीय घटनाओं को समझने, समय मापने और ग्रह-नक्षत्र की स्थिति को समझने के लिए जयपुर, दिल्ली, उज्जैन और बनारस में ऐसी वेधशालाओं का निर्माण करवाया था।
हालांकि आज के समय में केवल दिल्ली और जयपुर के जंतर मंतर ही सुरक्षित रह गए हैं। इसमें सम्राट यंत्र नाम की एक सूर्य घड़ी है, जो आज भी सटीक समय बताती है। जंतर मंतर को देखकर यह समझा जा सकता है कि भारत में खगोलीय घटनाओं के प्रति बहुत पहले से ही जागरूकता रही है।
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