राजस्थान के रणथम्भौर का जोगी महल का इतिहास धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा है। माना जाता है कि इस महल का वर्णन योगी नाथ समाज के जागा की पोथियों में मिलता है। इसके अलावा काला-गोरा भैरव मंदिर के पंडित रामविलास योगी के मुताबिक इस महल में हम्मीर के राजगरू सत्यनाथ की समाधि है, बताया जाता है कि राजगरू ने यहां रहकर तपस्या की थी। वहीं कुछ इतिहासकारों का कहना है कि यह महल सदियों पहले सैनिकों के रहने का ठिकाना हुआ करता था। उनके मुताबिक सैनिक किले और आस-पास के इलाकों में नजरानी करने के लिए इस महल का इस्तेमाल किया करते थे।
32 खंभों की छतरी का इतिहास
32 खंभों की छतरी पूरे विश्व में फेमस है। रणथम्भौर किले के करीब स्थित 36 खंभों की छतरी राव हम्मीर देव ने गुरु सत्यनाथ के सम्मान में बनाई गई थी। इस छतरी की खास बात यह है कि यहां पर एक शिवलिंग को ऊपर की तरफ स्थापित की गई है। त्योहारों और खास मौकों पर यहां भक्तों का जमावड़ा लगता है।
बिना बिजली के रुके थे पीएम राजीव गांधी
आपको बता दें कि साल 1986 से पहले इस महल में किसी भी वीआईपी को यहां रूकने की अनुमति नहीं थी। एक बार पीएम राजीव गांधी अपने ग्रुप के साथ यहां ठहरे थे उस समय इस महल में रूकने की कोई व्यवस्था नहीं थी, यहां तक की महल में पानी और बिजली भी नहीं थी।
इस कारण से लगी थी रोक
दरअसल टाइगर टेरिटरी होने की वजह से इस महल में किसी को भी रात में रुकने नहीं दिया जाता था, लेकिन साल 2005 में यहां रूकने का आदेश जारी किया गया था। पीएम राजीव गांधी के अलावा यहां अमिताभ बच्चन समेत कई फिल्मी सितारे यहां अपने परिवार के साथ रुक चुके हैं। विदेशी मेहमानों की लिस्ट में अमेरिकी के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का नाम भी शामिल हैं, साथ ही क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी यहां का दिदार कर चुकें है।