World Wildlife Day 2025: राजस्थान एक ऐसा प्रदेश है जहां हर दिन लाखों सैलानी देश विदेश से घूमने आते हैं। यहां ऐतिहासिक किलों-हवलियों के अलावा वाइल्डलाइफ प्रेमियों के लिए भी बेस्ट ट्रेवल डेस्टिनेशन है, जहां दुर्लभ पक्षियों से लेकर बाघ-बघेरों के साथ वन्यजीवों की विभिन्न प्रजातियां देखने को मिलती हैं। 

पर्यटन हब के रूप में उभर रहे है ये स्थान 
बढ़ते टूरिज्म के कारण प्रदेश के जंगलों में देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। बता दें कि ईको-टूरिज्म के बढ़ने से राजस्थान के रणथंभौर, सरिस्का, झालाना, नाहरगढ़ जैविक उद्यान, सांभर झील, केवलादेव अभयारण्य और ताल छापर जैसी जगहें अब नए पर्यटन हब के रूपए में उभर रही है। 

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रोजगार के बढ़ रहे है अवसर 
यहां ज्यादातर लोग बाघ और बघेरे को देखने के लिए आते हैं। इससे प्रदेश में भी रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं। गाइड, होटल और रिसॉर्ट्स के साथ-साथ स्थानीय हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजनों की मांग लगातार बढ़ रही हैं। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसाल 30 लाख से अधिक लोग वन्यजीवों को देखने और जंगल की सैर करने आते हैं।

जंगल सफारी का क्रेज 
इसके अलावा जंगलों में वाइल्डलाइफ सफारी का क्रेज भी खूब बढ़ रहा है। खास तौर पर रणथंभौर , सरिस्का और झालाना में होने वाली सफारी के समय काफी भीड़ होती है। अक्टूबर से जनवरी के सीजन में संख्या इतनी बढ़ जाती है कि लोगों को निराश होकर लौटना पड़ा है। 

देश-विदेश से आते पक्षी प्रेमी और फोटोग्राफर
राजस्थान को झीलें और अभयारण्य प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग कहा जाता है। हर वर्ष सांभर झील , मानसागर, आना सागर, पिछोला झील, केवलादेव, ताल छापर, खींचन और जोड़ बीड़ में हजारों माइग्रेटरी बर्ड्स आते हैं। इनका दिदार करने के लिए दुनियाभर से पक्षी प्रेमी और फोटोग्राफर राजस्थान पहुंचते है। ये पक्षी सितंबर-नवंबर में यहां आते हैं और फरवरी के अंत तक अपने घर वापस लौटते है। खरमोर और गोडावन संरक्षण के प्रयासों से आज भी राजस्थान अपनी वाइल्डलाइफ के लिए जाना जाता है।