25 Oct 2024
राजस्थान के 7 पारंपरिक नृत्य, जिसमें दिखती है सांस्कृतिक धरोहर की अनोखी झलक
घूमर – यह राजस्थानी महिलाओं का पारंपरिक नृत्य है, जिसमें घूम-घूम कर नृत्य किया जाता है। यह विशेष अवसरों और त्योहारों पर किया जाता है।
कालबेलिया – राजस्थान के कालबेलिया समुदाय का यह नृत्य सांप की गतियों की नकल करता है, और इसे 'सांप नृत्य' के नाम से भी जाना जाता है।
भवाई – यह एक निपुणता और संतुलन का नृत्य है, जिसमें नर्तक सिर पर कई बर्तनों को संतुलित करते हुए नृत्य करते हैं।
चरी नृत्य – यह नृत्य सिर पर जलते हुए बर्तनों (चरी) को संतुलित करते हुए किया जाता है, और इसे विशेष समारोहों पर प्रस्तुत किया जाता है।
गैर नृत्य – होली के अवसर पर किया जाने वाला यह नृत्य पुरुषों द्वारा किया जाता है, जिसमें डंडों का उपयोग किया जाता है और यह सामूहिकता का प्रतीक है।
कच्छी घोड़ी – इस नृत्य में नर्तक नकली घोड़े की पोशाक पहनकर नृत्य करते हैं। यह नृत्य विशेष रूप से शादियों में मनोरंजन के लिए किया जाता है।
तेरहताली – कमार जनजाति का यह नृत्य विशेष रूप से वाद्य यंत्रों के साथ किया जाता है, जिसमें नर्तक अपने शरीर पर बांधे घुंघरू और मंजीरे के साथ संगीत की ताल पर नृत्य करते हैं।