29 Oct 2024
ये 500 साल पुरानी जल सांझी क्यों है इतनी खास, जानें इसके पीछे की कहानी
जल सांझी की कला झीलों की नगरी उदयपुर में पितृ पक्ष के दौरान खास "जल सांझी" चित्रकला बनाई जाती है। इसमें पानी पर विशेष रूप से चित्र बनाए जाते हैं।
पानी पर चित्र जल सांझी में जल पात्र में रखे स्थिर पानी पर चित्र उकेरा जाता है, जिससे हिलने पर चित्र लहरों की तरह तैरता प्रतीत होता है।
सदियों पुरानी परंपरा उदयपुर में यह कला पिछले 500 वर्षों से जीवित है। चित्रकार इस कठिन कला को परंपरागत तरीकों से संवार रहे हैं।
चित्र निर्माण की तकनीक जल सांझी में पानी के ऊपर कोयला और सूखे रंगों की परतें लगाई जाती हैं, जिससे एक अद्भुत दृश्य निर्मित होता है।
कला के पुरोधा इस चित्रकला को राजेश वैष्णव के परिवार ने संजोए रखा है। उनकी 18 पीढ़ियां इस कला को संरक्षित करती आ रही हैं।
कृष्ण और सांझी कहा जाता है कि जब राधा रानी यमुना में फूल डालती थीं तो उसमें श्रीकृष्ण के दर्शन होते थे। जल सांझी में कृष्ण की विभिन्न लीलाओं के दृश्य बनाए जाते हैं।
ब्रज से उदयपुर तक यह परंपरा ब्रज क्षेत्र से शुरू हुई और अब यह गुजरात और राजस्थान के कुछ मंदिरों में भी प्रचलित है।