Rajasthan Traditional Marriage: राजस्थान में अलग-अलग समुदाय के लोग निवास करते है, जिनकी शादी को किए जाने की अपनी अनोखी परंपरा है और यदि आप भी राजस्थान की संस्कृति और रीति-रिवाज को जानने में इच्छा रखते है तो आपके लिए सबसे अच्छा समय यहां की शादी है क्योंकि राजस्थान में इन अनोखी परंपराओ को शादी जैसे शुभ अवसर पर ही निभाया जाता है। राजस्थान में कई जनजाति, आदिवासी समाज की परंपराएं हैं, जो अभी तक केवल एक क्षेत्र तक ही सीमित है। जिनको एक मंच प्रदान किए जाने की आवश्यकता है।
बावरिया जनजाति
बावरिया जनजाति जो लंबे समय से शिकार का काम करती हुई आ रही है, इन जनजातियों के तौर तरीके व रीति-रिवाज एक सामान्य शादी से अलग होते है। बावरिया जनजाति में अगर किसी की शादी होती है, तो यहां आस-पास के लोग इस शादी को देखने के लिए आते हैं। इस समुदाय के लोग पहले भाला चलाने में इतने निपूर्ण थे कि वो एक साथ 100 लोगो को परास्त कर सकते थे। इस समुदाय की महिलाओं द्वारा पहले पूरे हाथों में सफेद चूड़ियां पहनी जाती थी, जो हाथी दांत से बनी ही होती थी।
बावरिया जनजाति की शादी
बावरिया एक आदिवासी जनजाति है, जो अक्सर प्रवास करती रहती है, इस आदिवासी समाज में बिना किसी दिखावे के शादी की जाती हैं। इस समुदाय को लेकर एक रिवाज ये भी है कि इसमें दुल्हन तब तक अपना मुंह किसी को नही दिखाती जब तक उसके फेरे ना हो।
फेरे से पहले माता का करते है आह्नान
इस आदिवासी समाज के शादी में मंडप बुजुर्गों के द्वारा ही बनाया जाता है, जिसमें वो मंडप बनाने के बाद उसमें आहुति देकर मंत्रो का उच्चारण करके अपनी कुल माता का आह्नान किया जाता है। जो किसी इंसानी शरीर पर आती है, उसके फेरे बाद ही शादी संपन्न होती है।
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