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Bentmar Ghinga Gwar Mela: जोधपुर में एक मिले का आयोजन किया जाता है, जो कि 16 दोनों तक चलता है। मेले के बाद सुहागिन महिलाएं पूरी रात सड़कों पर निकाल कर बेंत से पुरुषों को पिटाई करती हैं।

Jodhpur Bentmar Ghinga Gwar Mela: दुनिया के हर देश में शादी अलग-अलग रीति रिवाज से होती हैं। कुछ परंपराएं बेहद खास होती है जबकि कुछ बेहद हैरान करने वाली होती है। भारत विभिन्नताओं का देश है और यहां पर अलग-अलग संस्कृति परंपरा और रीति रिवाज का पालन किया जाता है। देश के हर राज्य में शादी की अलग-अलग परंपराओं का पालन किया जाता है। ऐसा ही एक परंपरा का पालनपुर राजस्थान के जोधपुर में किया जाता है।

16 दिनों तक चलता है मेला
जोधपुर में एक मिले का आयोजन किया जाता है, जो कि 16 दोनों तक चलता है। मेले के बाद सुहागिन महिलाएं पूरी रात सड़कों पर निकाल कर बेंत से पुरुषों को पिटाई करती हैं। सबसे खास बात ये है कि पुरुष खुद से ही पीटते हैं और कोई बुरा नहीं मानता है। जोधपुर में प्राचीन समय से ये परंपरा चली आ रही है। 

कुंवारे लड़कों की शादी के लिए होती है ये परंपरा
इस परंपरा में भाभी अपने देवर और दूसरे कुंवारे लड़कों को प्यार से छड़ी से मारकर बताती है की यह कुंवारे है। मान्यता है की इससे कुंवारे लड़कों की जल्द शादी हो जाती है। जोधपुर में आयोजित होने वाली इस मिले का नाम धींगा गवर या फिर ‘बेंतमार गणगौर’ उत्सव कहते हैं।

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564 सालों से चल रही ये परंपरा
इस पर्व में महिलाएं 12 घंटे तक निर्जला उपवास रखती है और दिन में सिर्फ एक बार खाना खाती है। चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि से इसकी पूजा की शुरुआत होती है और बैसाख मास के कृष्णा पक्ष की तृतीया तक यह चलता है। पूजा में महिलाएं पहले दीवारों पर गवर की कलाकृति बनाती हैं और कच्चे रंग से भगवान शिव, गणेश जी, मूषक, सूर्य चंद्रमा और गगरी लिए महिला काव्या चित्र बनाया जाता है। इसमें 16 अंकों का खास महत्व होता है और 16 महिलाएं एक साथ पूजा करती है। जोधपुर की स्थापना के समय राज परिवार ने इस पूजा की परंपरा की शुरुआत की थी। जो कि 564 सालों से यह पूजा चलती आ रही है।

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