Rain Prediction Tradition: राजस्थान के बूंदी जिले के हरिपुरा गांव में आज भी 300 साल पुरानी परंपरा निभाई जा रही हैं। इस परंपरा में इस गांव के भगवान कल्याण राय जी के मंदिर के बाहर सुकाल पर तणी चढ़ाई जाती है। इस तणी के चढ़ते ही लोगों में खुशी का माहौल उत्पन्न हो जाता है, इस कारण यह है कि माना जाता है कि इस तणी के चढ़ने से बारिश अच्छी होगी और जिससे फसलों की पैदावार बढ़ेगी।
हरिपुरा गांव की परंपरा
बूंदी के हरिपुरा गांव में इस परंपरा की शुरुआत सुबह के समय की जाती है, जिसमें प्रातकाल में ही श्रृदालु मंदिर के बाहर गाजे बाजे के साथ पहुंचते हैं। उसके बाद एक कच्ची रस्सी जिसे उस गांव की आम भाषा में तणी बोला जाता है, इस कच्ची रस्सी को चढ़ाने के लिए मंदिर के सामने दो बच्चों को 50 फिट की दूरी पर खड़ा कर ढीली तणी बांधी जाती है, जिसके बीच एक पतली डंडी खड़ी की जाती है, जिस तणी को जमीन से खिचकर ऊपर चढ़ाई जाती हैं।
इस डंडी के ऊपर जाने को फसल के लिए अच्छा समय मान कर एक दूसरे के साथ खुशी मनाई जाती है, क्योंकि इस गांव की ये परंपरा है कि इस तरह तणी चढ़ने को शुभ माना जाता है, जिसे वहां के लोगों द्वारा इसे सुकाल (अन्न उपज का समय) माना जाता है।
300 साल पुरानी परंपरा
इस गांव के लोगों का कहना है कि ये परंपरा 300 सालो से लेकर आज तक निभाई जा रही हैं। इस परंपरा को सुकाल व अकाल के लिए साल में एक बार इसको निभाया जाता है, जिसमें भगवान कल्याण राय जी के मंदिर में हर वर्ष तणी चढ़ाई जाती है, जो उनकी मान्यताओं के अनुसार ये सूचना देती है कि इस वर्ष अच्छी बारिश होगी।
हरिपुरा ही नहीं बल्कि इन क्षेत्रों में भी परंपरा
वर्तमान में हरिपुरा ही नहीं बल्कि राजस्थान के कई गांवों में इस परंपरा निभाया जा रहा है, शास्त्रों के अनुसार पौराणिक काल में भी यह परंपरा निभाई जाती थी, उसी का अनुसरण करते हुए आज गांव के बुजुर्ग के द्वारा इसे परंपरा को पूरे विधि विधान के साथ निभाया जा रहा है। इस परंपरा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग भी आकर इसका आनंद उठाते हैं और उनमें कुछ लोगों द्वारा इस परंपरा में बारिश की गणना पर शोध किया जा रहा है।
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