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Unique Holi tradition: प्रदेश में कई तरह की होली खेली जाती है। लोग आज भी अपनी पुरानी परंपराओं के अनुसार ही होली खेलते हैं। राज्य में फूलों की होली, लट्ठमार होली, कोड़ामार होली, पत्थरमार होली और अंगारों पर चलने वाली होली खेली जाती है।

 Holi celebration in Rajasthan: हर साल देशभर में होली का त्यौहार बहुत ही जोरशोर से मनाया जाता है। जैसे ही फाल्गुन का महीना शुरू होता है, वैसे ही होली के रंग चारों ओर दिखने लगते हैं। हवाओं के होली के रंगों की महक और गुलाल उड़ने लगता है। बाजार भी रंगों रंग सज जाते हैं। लोगों में होली का त्यौहार सिर चढ़कर बोलता है। राजस्थान में कई लोग गुलाल और रंगो से होली खेलते हैं तो, कई लोग पुरानी परंपराओं और सामग्रियों के साथ होली खेलते हैं। प्रदेश के कई शहरों में तो केवल फूलों की होली भी खेली जाती है। 

राजस्थान में खेली जाती है, कईं प्रकार की होली

1. फूलों की होली- प्रदेश की राजधानी जयपुर के गोविंद देव मंदिर में हर साल होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम और जोरशोर के साथ मनाया जाता है। मंदिर परिसर में लोग गुलाल और फूलों की होली खेलते हैं। इसी के साथ साथ मंदिर में राधा कृष्ण की लीला का मंचन भी किया जाता है। पिछले साल लगभग 200 किलो फूलों के साथ गोविंद देव मंदिर में होली मनाई गई थी। देखने वाली बात होगी कि इस बार गोविंद देव मंदिर में कितने किलो फूलों से होली मनाई जाएगी। 

2. लट्ठमार होली- भरतपुर के पड़ोसी शहर मथुरा और वृंदावन में लट्ठमार होली का बहुत क्रेज है। यहां की होली विश्वभर में बहुत प्रसिद्ध है। मथुरा की सीमा भरतपुर और करौली से लगने के कारण यहां भी लट्ठमार होली खेली जाती है। इसलिए यहां का नजारा भी देखने लायक होता है। इसके अलावा प्रदेश के शेखावाटी इलाके में होली के पर्व पर चंग और महरी नृत्य किया जाता है। चंग नृत्य पुरुषों के द्वारा एक हाथ में चंग लेकर और दूसरे हाथ से थपकियां बजाकर किया जाता है। साथ अगर इसी नृत्य में कोई महिला का वेश धारण करता है तो, उसे महरी कहा जाता है। 

3. कोड़ामार होली- प्रदेश के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में कोड़ामार होली खेली जाती है। इस तरह की होली खेलने की परंपरा यहां पुराने समय से चली आ रही है। यहां के लोग ढोल की थाप पर टोली बनाकर गुलाल उड़कर होली खेलते हैं और बाद में महिलाएं अपनी टोली बनाकर कपड़े को कोड़ेनुमा लपेटकर रंग में भिगोने के बाद पुरुषों को मारती हैं। 

4. पत्थरमार होली- प्रदेश के डूंगरपुर जिले में खून की होली खेली जाती है। इस प्रकार की होली प्रदेश में काफी चर्चा में रहती है। मान्यता है कि यहां के लोग पिछले 200 सालों से धुलंडी पर पत्थरबाजी करके होली खेल रहे हैं। स्थानीय लोग पत्थरमार होली खेलने को ज्यादा शुभ मानते हैं। होली के दिन स्थानीय लोग रघुनाथ मंदिर के परिसर में इक्कठा होकर दो टोली बनाकर पत्थरमार होली खेलते हैं। अगर कोई होली खेलते हुए जख्मी हो जाता है तो, उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है। 

5. अंगारों पर चलने वाली होली- राजस्थान के डूंगरपुर जिले में ही सबसे अलग और अनोखी होली मनाई जाती है। यहां के लोग होली के 1 महीने पहले ही होली की तैयारियों के लग जाते हैं। कोकापुर गांव के लोग होली के दिन होलिका की जलती अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं। यह परंपरा यहां बरसों से चलती आ रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि ऐसा करने से घर में कोई विपदा नहीं आती।

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