Marriage Tradition: हिन्दु धर्म में संस्कार होते हैं, जो एक सनातनी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते है इन संस्कारो को जन्म, विवाह के अवसरों पर निभाए जाते हैं। इन सभी संस्कारों में की परंपराओं को निभाया जाता है, जिनको निभाएं जाने का एक विशेष महत्व है, जिसमें कई रश्में केवल विवाह के समय ही निभायी जाती है।
चावल के कलश का महत्व
हम अक्सर अपने बड़ो से सुनते हुए आ रहे हैं कि अन्न को पैर लगाना अशुभ होता है, वही नई दुल्हन को प्रवेश कराने से पहले चावल के कलश को पैर से गिराने को तो शुभ माना है। ये सवाल सभी के मन में रहता है। जब कोई नई दुल्हन चावल से भरे कलश को पैर से गिराती है तो माना जाता है कि जितनी दूर वो कलश और उसके चावल जाते हैं, उसे और ज्यादा शुभ माना जाता है।
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ऐसा इसलिए क्योकि एक औरत को लक्ष्मी का रूप माना जाता है इसलिए जब वो अपने पैर से चावल के कलश को गिराती है तो इससे घर में सुख समृद्धि आती है। इस वजह से सनातन धर्म में चावल के कलश का नई दुल्हन द्वारा गिराने का बहुत महत्व हैं।
ग्रह प्रवेश की मान्यता
हमारे हिन्दु धर्म मान्यता है कि जब कभी कोई लड़की शादी करके किसी नए घर में आती है तो उसका स्वागत पूरे रीति रिवाज के साथ किया जाता है, इन सभी रश्मों में सबसे जरुरी चावल के कलश को पैर से गिराने को माना जाता है। इस परंपरा के बारे में कहते है कि जब भी कोई भर की लक्ष्मी घर में प्रवेश करती है तो उसका स्वागत इसी तरह से किया जाता हैं।
दाहिने पैर से निभाई जाती है परंपरा
इस परंपरा की एक मान्यता ये भी है कि इस परंपरा को निभाने के लिए चावल के कलश को दाहिने यानी की सीधे पैर से ही गिराया जाता है, क्योकि हिन्दु धर्म में सभी शुभ कार्य को सीधे हाथ और पैरो से निभाया जाता हैं।
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