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Rajasthani Dance : कालबेलिया नृत्य को राजस्थान का कला ही नहीं बल्कि राजस्थान का आत्मा भी कहा जाता है। महिलाएं गोल-गोल घूमते हुए सर्प का नकल करते हुए डांस करती है।

Rajasthani Dance : भारत अपने पारंपरिक नृत्य के लिए दुनिया भर में फेमस है। जब बात पारंपरिक नृत्य की हो तो राजस्थान का नाम सबसे पहले आता है लेकिन क्या आप जानते हैं राजस्थान में यह ऐसा नृत्य है जो दुनिया भर में अपनी पहचान बना रहा है। विदेश में भी इस नृत्य का डंका बज रहा है। हम बात कर रहे हैं राजस्थान का कालबेलिया नृत्य के बारे में जिसको यूनेस्को ने भी अपने सूची में शामिल किया है। इस नृत्य को राजस्थान का कला नहीं बल्कि राजस्थान का आत्मा भी कहा जाता है। विदेशी पर्यटकों को भी कालबेलिया डांस अपने तरफ आकर्षित करती है।इस नृत्य को कालबेलिया जनजाति की महिलाएं करती है। जिसे बेहद मनमोहक और आकर्षित अंदाज में पेश करती है। 

जाने कालबेलिया नृत्य के बारे में

कालबेलिया नृत्य राजस्थान के कालबेलिया समुदाय के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसे सपेरे का भी डांस कहा जाता है इसमें महिलाएं लचीले अंदाज में नागिन की तरह डांस करते नजर आती है। महिलाएं गोल-गोल घूमते हुए सर्प का नकल करते हुए डांस करती है।

आमतौर पर इस नृत्य को करने के लिए घाघरा चोली पहना जाता है। अधिकतर काले रंग का लहंगा चोली होता है। इन पोशाकों पर कल धागों की कढ़ाई और मिरर वर्क होता है। जो नृत्य में चार चांद लगाती है। इस डांस में महिलाओं का साथ देने के लिए पुरुष साथी पुंगी और ढोलक को बजाते हैं। आकर्षित होने के कारण ही इस नृत्य को यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया है।

2010 में मिली मान्यता 

कालबेलिया नृत्य को यूनेस्को के अमृत सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया गया। कालबेलिया नृत्य सांस्कृतिक महत्व और अद्वितीयता को प्रस्तुत करती है। यूनेस्को में से इसलिए शामिल किया गया यह डांस अपने जीवनशैली और संस्कृति को दर्शाती है।

डांस के जरिए पहचान बनाने वाले कालबेलिया जनजाति

राजस्थान की कालबेलिया जनजाति एक घुमंतू जनजाति है। इनका पेशेवर काम सांप पकड़ना सांप के जहर का व्यापार करना और सर्प दंश का इलाज करना है। कालबेलिया समुदाय की सबसे ज्यादा आबादी पाली जिले में पाई जाती है उसके बाद उदयपुर,चितौड़गढ़ और अजमेर जिले में है।

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