Rajasthan Toran Tradition: राजस्थान में अनेक परंपराएं हैं, जिनकी रस्मों को अक्सर शादी- विवाह के अवसर पर ही किया जाता है। यहां के समुदायों की अपनी अलग परंपराएं और रस्में होती हैं। ये रीति-रिवाज ही राजस्थान की धरोहर हैं, जिनकी वजह से लोग राजस्थान की ओर खिंचे चले आते हैं।
क्या है तोरण रस्म
राजस्थान में शादी के दौरान कई रस्में निभाई जाती हैं, जिसमें से एक तोरण रस्म भी है। जो दूल्हे के प्रवेश के दौरान निभाई जाती है, इस परंपरा में जब दूल्हा घर की चौखट पर पहुंचता है, तो उस समय दरवाजे के ऊपर लगाई तोरण को तलवार से हटाना पड़ता है। उसके बाद ही अंदर प्रवेश करता है, जिसको शादी में शुभ माना जाता है।
क्यों की जाती है तोरण रस्म
राजस्थान में तोरण की रस्म लम्बे समय से चलती आ रही है, जिसको लेकर एक मान्यता भी है। इस मान्यता के आधार पर बारात आने से पहले दुल्हन के घर के दरवाजे पर तोते का तोरण लटकाया जाता है। इस तोते के तोरण को लगाए जाने के पीछे एक कहानी है, जिसके अनुसार इस रस्म को पीढ़ी दर पीढ़ी निभाया जा रहा है।
इस कहानी में दुल्हन के घर की द्वार पर तोते के रूप में एक राक्षस बैठा हुआ होता था, जो शादी के दौरान दूल्हे में प्रवेश कर उनके शादीशुदा जीवन को बर्बाद कर दिया करता था। लेकिन एक बार जब एक राजकुमार शादी के लिए अदंर प्रवेश कर रहे थे, तब राजकुमार की नजर तोते के रूप में बैठे राक्षस पर पड़ती है और उन्होंने तलवार से उस राक्षस को मार दिया।
इसके बाद राजकुमार की शादीशुदा जिंदगी में कोई परेशानी नही आयी और दोनों ने खुशी- खुशी अपना जीवन व्यथित किया। इस घटना के बाद से लोगों ने शादीशुदा जिंदगी शांति से बनाए रखने के लिए इसको एक रस्म के रूप में निभाया जाने लगा।
तोरण का धार्मिक मान्यता
तोरण को लगाए जाने के पीछे धार्मिक मान्यता भी है, इसमें जिस तोरण पर गणेश जी लगे होते है उस तोरण को किसी शुभ कार्य पर ही लगाया जाता है। इस गणेश लगे तोरण को लेकर ये मान्यता है कि इसपर तलवार से वार करना अशुभ माना जाता है, लेकिन मना करने के बावजुद भी आज के समय लोग बाजार से स्वास्तिक स्वास्तिक लगे तोरण को ले आते है।
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