Rajasthan Competative Exam: राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षा को लेकर एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। दरअसल, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने पिछले दिनों प्रतियोगियों को चेतावनी दी थी कि अगर किसी अभ्यर्थी ने गलत दस्तावेजों से आवेदन फॉर्म भरा है या फिर कोई ऐसा अभ्यर्थी है, जो परीक्षा नहीं देना चाहता है, तो वो अपना आवेदन फॉर्म हटा ले। इस ऐलान के बाद ही लगभग 5 हजार से ज्यादा आवेदकों ने अपने आवेदन फॉर्म वापस निकाल लिए।
क्यों लिया गया फैसला
बता दें कि काफी समय से देखने को मिल रहा है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में परीक्षार्थी फॉर्म तो बहुत ज्यादा तादाद में भरते हैं लेकिन परीक्षा देने के लिए उपस्थित नहीं होते। इससे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियां करने में भी समय फालतू बर्बाद होता है। इसके अलावा बहुत से छात्र ऐसे होते हैं, जिनके पास पात्रता नहीं होती, फिर भी वो फॉर्म भर देते हैं। इसके कारण दस्तावेजों की जांच के समय काफी परेशानी होती है।
जेल प्रहरी परीक्षा में हमने फॉर्म withdraw करने का दोबारा, अवसर दिया 21-27 फरवरी। खुशी है पहले दिन 5000 ने जिम्मेदार नागरिक बन अपना फॉर्म withdraw किया। 5000 के इस निर्णय से 20 स्कूलों में पढ़ाई का हर्जाना बचेगा, और सबसे बड़ी बात, कम परीक्षा केंद्र=कम संभावना पेपरलीक की= कम खर्चा
— Alok Raj (@alokrajRSSB) February 22, 2025
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने दिए आदेश
इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ समय पहले ही राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने परीक्षा में अनुपस्थित रहने वाले अभ्यर्थियों पर एक्शन लेते हुए कड़ा फैसला लिया। कर्मचारी चयन बोर्ड ने जेल प्रहरी परीक्षा में उन आवेदकों को आवेदन विड्रॉल करने का मौका दिया, जो या तो परीक्षा में बैठना नहीं चाहते, या वो पात्र नहीं हैं लेकिन फॉर्म भर दिया है।
आवेदन वापस लेने के लिए कब तक का दिया समय
बोर्ड ने आवेदकों से आवेदन वापस लेने के लिए 21 फरवरी से 27 फरवरी तक का समय दिया है। इस फैसले के बाद अब तक पांच हजार से ज्यादा लोग आवेदन विड्रॉल कर चुके हैं। इस बात की जानकारी खुद राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने दी है।
उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा कि हमने फॉर्म विड्रॉ करने का दोबारा मौका दिया है। पहले ही दिन 5000 लोगों ने अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए फॉर्म विड्रॉ कर लिया। इससे 20 स्कूलों में पढ़ाई का हर्जाना बचेगा और सबसे बड़ी बात ये है कि परीक्षा के केंद्र कम होंगे और पेपरलीक की संभावना भी कम होगी।