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Bollywood Actor Gajraj Rao: अपने चेहरे के हाव-भाव से दर्शकों का मन मोह लेने वाले गजराज राव आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। कई फिल्मों में हीरो के साथ आ कर फिल्म का माहौल बना देने वाले गजराज राव मॉडर्न दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गए हैं।

Bollywood Actor Gajraj Rao: गजराज राव, जिन्हें हममें से कई ने सबसे पहले 'बधाई हो' में देखा और उनकी बेहतरीन अदाकारी के मुरीद हो गए, आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने 'बधाई हो' और 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से एक खास पहचान बनाई है।

नहीं लगता था पढ़ाई में मन 

हालांकि, इस मुकाम तक पहुंचने में गजराज को लंबा इंतजार करना पड़ा। राजस्थान के डूंगरपुर जिले के झाखड़ी गांव में जन्मे गजराज की पढ़ाई दिल्ली में हुई थी। उनके पिता रेलवे में काम करते थे और मां गृहिणी थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए गजराज को पढ़ाई में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। ग्रैजुएशन के बाद उन्हें कुछ छोटे-मोटे काम करने पड़े, ताकि घर की आर्थिक स्थिति में योगदान दे सकें।

गरीबी में बीता बचपन 

गजराज राव ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब वह 16-17 साल के थे, तब उनकी जिंदगी में थियेटर का आगमन हुआ। यही थियेटर उनके जीवन की दिशा बदलने वाला मोड़ साबित हुआ। घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि गजराज अपने दोस्तों को घर बुलाने से भी कतराते थे। उन्हें अपने छोटे से घर पर शर्म आती थी क्योंकि उनके ज्यादातर दोस्त संपन्न परिवारों से थे। मगर, थियेटर से जुड़ने के बाद उनकी सोच बदल गई और उन्होंने अपनी जिंदगी में नई उम्मीदें देखीं।

अभिनय से हुआ परिचय 

गजराज के पिता चाहते थे कि वह सरकारी नौकरी करें, लेकिन गजराज की किस्मत में कुछ और ही लिखा था। जब गजराज ने अपने पिता को एक नाटक दिखाया और उनके अभिनय पर तालियां बजीं, तब उनके पिता के चेहरे पर पहली बार संतोष नजर आया। वह समझ गए थे कि गजराज ने सही रास्ता चुना है। इसके बाद जब गजराज को विज्ञापन और टेलीविजन से काम मिलने लगा, तो उनके पिता को उनके भविष्य की चिंता कम हो गई।

गजराज का टेलीविजन करियर बतौर लेखक शुरू हुआ। उन्हें क्राइम शो 'भंवर' में काम मिला. इसके बाद उन्होंने सिद्धार्थ बसु की कंपनी के साथ काम किया और विज्ञापनों में भी अपने हुनर को निखारा। यही विज्ञापन उन्हें साल 2000 में मुंबई ले आए, जहां से उनके फिल्मी सफर की शुरुआत हुई।

जब जेब में थे मात्र 6 रुपये 

मुंबई में अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए गजराज बताते हैं कि एक बार वह अपने दोस्त के घर एक महीने से रह रहे थे और एक स्क्रिप्ट लिख रहे थे। स्क्रिप्ट सुनाने के लिए उन्हें अंधेरी से वर्ली जाना था, मगर उनके पास सिर्फ 5-6 रुपये थे। उन्हें उम्मीद थी कि स्क्रिप्ट पसंद आने पर एडवांस मिल जाएगा, लेकिन स्क्रिप्ट को ठुकरा दिया गया। अब उनके सामने मुश्किल यह थी कि बचे हुए पैसों से वह कुछ खाएं या ट्रेन का टिकट लें। वह उस दिन की बेबसी को याद करते हुए कहते हैं कि उस दिन मजबूरी में उनके आंसू निकल आए थे। 

ऐसे मिली पहली फिल्म 

दिल्ली में रहते हुए गजराज को शेखर कपूर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में काम करने का मौका मिला। मुंबई में आने के बाद उन्हें अनुराग कश्यप की 'ब्लैक फ्राइडे' में पहला ब्रेक मिला। गजराज बताते हैं कि तिग्मांशु धूलिया ने उन्हें 'बैंडिट क्वीन' में काम दिलाया था, क्योंकि वह एनएसडी में गजराज के नाटक देखा करते थे। इसी नाटक में मनोज बाजपेयी भी थे, और उन्हें भी इसी नाटक की वजह से 'बैंडिट क्वीन' में काम मिला।

48 साल की उम्र में अभिनय में बनाई नई पहचान

इसके बाद गजराज राव ने 'दिल से', 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी', 'तलवार', 'रंगून' जैसी कई फिल्मों में काम किया, लेकिन असली पहचान उन्हें 2018 में आयुष्मान खुराना की फिल्म 'बधाई हो' से मिली। इस फिल्म के बाद गजराज ने कहा कि 48 साल की उम्र में नई शुरुआत करना आसान नहीं था, लेकिन उनके लिए यह एक सपने के पूरा होने जैसा था। अब गजराज राव अपने आगामी प्रोजेक्ट्स की तैयारी में लगे हैं, जिनमें 'थाई मसाज' जैसी मनोरंजक फिल्म भी शामिल है।

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