Rajasthani Famous Singer: राजस्थान के जैसलमेर के सत्तों गांव से निकलकर बॉलीवुड ही नहीं, बल्कि अमेरिका और यूरोप की गलियों तक राजस्थानी लोक गीतों की गूंज पहुंचाने वाले मामे खान की सादगी किसी का भी दिल जीत लेगी। संघर्ष की भट्टी में तपकर मामे खान का सफर आज सफलता का एक चमकता सोना बन गया है। कभी अपने माता-पिता के साथ शादी-ब्याह में गाने वाले मामे खान आज दुनियाभर में एक जानी-मानी पहचान बन चुके हैं।
फ्रांस के कान्स फेस्टिवल में रेड कार्पेट पर चलकर इस राजस्थानी सिंगर ने इतिहास रच दिया। मामे खान की बेहतरीन गायकी और सादगी जगजाहिर है। राजस्थानी गानों के साथ ही उन्होंने बॉलीवुड में भी कई हिट गाने गाए हैं। आइए जानते हैं मामे खान के संघर्ष की कहानी, जो शायद अब तक अनसुनी है।
मामे खान की रगों में बसा है संगीत
मामे खान राजस्थान के प्रसिद्ध मांगणियार समुदाय से आते हैं, जो लोक संगीत के लिए जाना जाता है। उनके चारों ओर संगीत का माहौल था और उनकी सिंगिंग यात्रा की शुरुआत मात्र 12 साल की उम्र में हो गई थी। उनका पहला परफॉर्मेंस तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सामने हुआ था। सालों के संघर्ष के बाद 1999 में उनकी बॉलीवुड में एंट्री हुई और इसके बाद उन्होंने कई ऐसे गाने गाए जो लोगों के दिलों में बस गए।
बहुत कम लोग जानते हैं कि मामे खान ने अपने करियर में दूरदर्शन से लेकर कोक स्टूडियो, हिंदी सिनेमा और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई शो किए हैं। उनके फैंस आज भी उनके किसी शो को मिस नहीं करना चाहते।
संघर्ष से निकला एक नायाब कलाकार
कम उम्र में ही मामे खान ने अपने परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी समझ ली थी। बचपन में ही ढोलक और सितार उनके साथी बन गए थे। वे अपने माता-पिता के साथ शादियों में गाने जाया करते थे। छोटी उम्र में प्रधानमंत्री के सामने परफॉर्म करना मामे के लिए छोटी बात नहीं थी। 1999 में एक म्यूजिकल प्रोग्राम के लिए मामे खान अमेरिका गए, जहां वे ढोलक बजाया करते थे।
लोक गीत को दी नई पहचान
गांव और लोक गीतों को दुनिया के सामने जिंदा रखना मामे खान के लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने इसे अपना मिशन बना लिया। मुंबई में उन्होंने लोक गीतों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए कई संघर्ष किए। मांगणियार समुदाय की कला को उन्होंने दूर-दूर तक पहुंचाया।
मामे खान की बॉलीवुड में हुई एंट्री
बॉलीवुड में मामे खान की एंट्री का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है। एक बार वे इला अरुण की बेटी की शादी के लिए मुंबई गए थे, जहां बॉलीवुड की कई हस्तियां मौजूद थीं। संगीतकार शंकर महादेवन ने जब उनका गाना सुना तो उन्होंने इला अरुण से उनके बारे में पूछा। इसके बाद उन्हें फिल्म 'लक बाय चांस' में 'बावरे' गाना गाने का मौका मिला, जिससे वे प्रसिद्ध हो गए।
रिकॉर्डिंग का वह अनुभव और पारंपरिक कपड़ों में माइक्रोफोन लगाकर गाना गाना आज भी मामे खान की यादों में है। 'जब सावन बिछुड़ों', 'लोली' और 'केसरिया बालम' जैसे उनके गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।