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Jaipur Mango Rabdi: अगर आप जयपुर जाए और मैंगो रबड़ी ना खाए तो समझ लीजिए कि आपकी यात्रा अधूरी ही रह गई है। आज के इस देखने में आपको बताने जा रहे हैं मैंगो रबड़ी के इतिहास के बारे में जिसको पढ़कर आप जयपुर जाने से खुद को नहीं रोक पाएंगे।

Jaipur Mango Rabdi: जयपुर न केवल अपने महलों और किलो के लिए बल्कि अपने समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए भी मशहूर है।  लेकिन आज के लेख में हम आपको एक ऐसे स्वादिष्ट व्यंजन के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में पढ़कर आपके भी मन में इसे खाने की तीव्र इच्छा जाग उठेगी। यह भी हो सकता है कि आप आज ही अपना सामान पैक करके जयपुर की तरफ निकल लें। हम बात कर रहे हैं जयपुर की प्रसिद्ध मैंगो रबड़ी की। 

कौन है मैंगो रबड़ी के पीछे का कलाकार 

इस स्वादिष्ट व्यंजन की कहानी 95 साल पुरानी दुकान मौलाना हलवाई से शुरू होती है। यह दुकान जयपुर के पार्कोटा में स्थित है। आपको बता देते दुकान को विश्व धरोहर के हिस्से के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। 1930 में मौलाना हलवाई के संस्थापक हाजी गुलाम ने एक रसोईए के रूप सफ़र की शुरुआत की थी। उनकी कला की प्रतिभा को जल्द ही पहचान मिली क्योंकि उन्होंने पारंपरिक रूप से तैयार की जाने वाली मिठाइयों को अपना अलग अंदाज दिया। हाजी गुलाम के बेटे खुर्शीद अनवर ने इस विरासत को आगे बढ़ाया।

आम रबड़ी का जन्म 

साल 2000 में खुर्शीद अनवर ने आम रबड़ी जैसी स्वादिष्ट मिठाई को बनाया। उन्होंने बेहतरीन गुणवत्ता वाले आमों की प्राकृतिक मिठास के साथ पारंपरिक लच्छा रबड़ी को सरलता से मिलाया इसके बाद जयपुर में मिठाई के मैन्यू में जैसे क्रांति ही आ गई। आज इस मिठाई को आम राबड़ी के रूप में जाना जाता है। 

हालांकि शुरुआत में इस नई रचना को कम मात्रा में बेचा गया था। लेकिन जल्द ही इस अनोखे मिश्रण को स्थानीय लोगों के बीच खूब प्यार मिला। शुरुआत में एक या दो किलो बिकने वाली यह मिठाई आज दुकान में रोजाना लगभग 40 से 50 किलो बिकने लगी। 


मैंगो रबड़ी को बनाने की कला 

सबसे पहले 8 किलो भैंस के दूध से 2 किलो रबड़ी बनाई जाती है। दूध का गाढ़ापन इस मिठाई के लिए काफी जरूरी है। इसके बाद सिर्फ हापुस आमों का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह आम अपनी प्राकृतिक मिठास और कम पानी की मात्रा के लिए जाने जाते हैं। यह आम राबड़ी को गाढ़ा और उसकी स्थिरता को बनाए रखने में मदद करते हैं।

5 किलो रबड़ी में लगभग 2 किलो हापुस आम मिलाए जाते हैं, इसके बाद यह मिश्रण काफी मीठा और मलाईदार बन जाता है। स्वास्थ्य लाभ और सुगंध को बढ़ाने के लिए इसमें केसर मिलाया जाता है इसके बाद इस मिठाई को पूरी तरह से ठंडा हो जाने पर सुख में वह से गार्निश किया जाता है। यह मिठाई न केवल स्वादिष्ट है बल्कि देखने में भी काफी आकर्षक लगती है।  अगर आप भी कभी जयपुर परकोटे की चहल पहल भरी गलियों में घूम रहे हो तो इस मैंगो रबड़ी को जरूर ट्राई करना।

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