Chandravati History: आपने मोहनजोदड़ो, हड़प्पा और सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में किताबों और स्कूल में पढ़ा होगा, लेकिन आज इस लेख में हम आपको ऐसी सभ्यता के बारें में बताएंगे, जो 7वीं से 13वीं शताब्दी में बसा था। इसका वैभव 11वीं में पूरे विश्व में चरम पर थी। चंद्रावती नगरी राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित सिराही जिल के आबूरोड रेलवे स्टेशन से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह नगरी लंबे समय से अपना इतिहास और पुरातात्विक महत्व के जानी जाती है।
विशेष सरंक्षण के अभाव यहां पर मौजूद कई वर्ष पुराने कलावशेष व प्राचीन दुर्लभ मूर्तियां यहां पर स्थित एक संग्रहालय में रखी हुई है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि आज भी कई कलावशेष और मूर्तियां नीचे जमीन में पड़े हुए हैं। इतिहासकारों के मुताबिक ऐसी कई प्राचीन मूर्तियों और कलावशेष दबे हुए होने की उम्मीद जताई जा रही है। स्थानीय लोगों की मानें तो यह नगरी यहां हजारों साल पुरानी है और अपने साथ कई प्राचीन इतिहास को दबाएं हुए है।
अनोखा रहस्य
चंद्रावती से जुड़ी जानकारी जैसे स्थापना, उत्थान और पतन के कोई प्रमाण अभी तक नहीं मिले हैं, लेकिन प्राप्त साहित्यिक स्रोतो के मुताबिक सातवीं से 13वीं शताब्दी में यह नगरी संस्कृति एंव व्यापार का प्रमुख केन्द्र हुआ करती थी। इस क्षेत्र की खास बात प्राप्त हुई प्रागेतिहास काल से संबंधित सामग्री में मिलती है, जिसे पूर्व विश्वविद्यालयो के प्रोफेसर और छात्रों के द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चला था।
ऐतिहासिक जानकारी के मुताबिक चंद्रावती नगरी परमार राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। साथ ही पश्चिम भारत के व्यापारिक मार्गों के केंद्र में स्थित होने की वजह से यह तुर्की के आक्रांताओं का शिकार बनी और समय के साथ-साथ लुप्त हो गई।
संग्रहालय से मिलती है जानकारी
नगरी के समीप बने संग्रहालय में आपको ऐसी कई मूर्तियां मिल जाएंगी जो 11वी और 12वी सदी पुरानी है, यह मुर्तियां स्थापत्य और शिल्पकला का बेजोड़ उदाहरण पेश करती है। इस संग्रहालय में कई खंडित मूर्तियां भी रखी हुई है जो उस समय की समृद्ध नगरी के बारें में कई जानकारी देती है।