Hazrat Maulana Ziauddin Sahib: राजस्थान के जयपुर में वैसे तो कई प्राचीन मंदिर, किले और आर्कषित महल बने हुए हैं, लेकिन यहां ऐसी कई दरगाहें है, जिन्हें देखने के लिए लाखों सैलानी शहर आते हैं। कई दरगाहें अपने इतिहास के लिए जानी जाती है। आज इस लेख में हम बात करेंगे दरगाह हजरत मौलाना जियाउद्दीन साहब दरगाह की, जहां आज भी इंसानियत की झलक देखने को मिलती है। यहां फिर चाहे हिंदु हो या मुस्लमान सभी साथ आकर एकजुटता और प्रेम का संदेश देते हैं।
200 वर्ष पुरानी है दरगाह
बता दें कि यह दरगाह करीब दो सौ साल पुरानी है। इस दरगाह में एक मस्जिद भी स्थित है, लेकिन इस चीज से आज तक कभी किसी हिंदु या किसी और धर्म के लोगों को कोई दिक्कत नहीं हुई है। यहां सभी धर्म के लोग मिलकर साथ में प्रथर्ना करते हैं।
इसके पीछे का रहस्य?
माना जाता है कि एक बार हजरत मौलाना जियाउद्दीन साहब जयपुर आए थे, तो वे सड़क पर ही तंबू लगाकर रहने लगे, क्योंकि उस समय राज्य के अंदर आने के लिए राजा से परमिट चाहिए होता था। जब राजा को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपने सिपाहियों को हजरत मौलाना जियाउद्दीन साहब से मिलने के लिए भेजा। जब सिपाही तंबू के पास पहुंचे तब उन्होंने बिल्ली को शेर समझ लिया और सारी बात राजा को बताई।
यह सुनकर राजा खुद हजरत मौलाना जियाउद्दीन साहब के पास गए थोड़ी देर उनके पास बात-चीत करने के बाद राजा ने कहा कि उन्हें गोविंद देव जी की पूजा के लिए जाना है, तब हजरत मौलाना जियाउद्दीन साहब ने राजा को आंखे बंद करने को कहा जब राजा ने आंखे खोली तब उनके सामने गोविंद देव जी की मूर्ती थी। यह देखकर राजा चौंक गए और उन्हें राज्य में रहने के लिए कहा। तब से आज तक इस दरगाह में सभी धर्मों के लोग साथ मिलकर प्रार्थना करते हैं।