Rajasthan Jalore Khesla: राजस्थान में कई तरह के कपड़े है जो अपनी- अपनी विशेषताओं के लिए जाने जाता है जिनमें कई बहुत पुराने ऐर पारंपरिक तरीके से बनाए जाते हैं। जिनको बनाने वाले कारीगरो की संख्या सीमित हैं, क्योकि खेसले को बनाने में काफी मेहनत और कलाकारी का काम हैं और खेसला एक ऐसा कपड़े है जिसे हाथों से बड़ी बारीकी से बनाया जाता हैं।
सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा रहता खेसला
खेस जिसको सूत से बनाया जाता है जो सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा रहता है, जालौर का गांव लेटा में जो कंबल बनाता जाता हैं उसे स्थानीय भाषा में खेसला कहा जाता हैं। ये हथकरघा का खेसला एक कंबल जैसी चादर होती हैं। इस सूत के खेस को शुद्ध कपास की बुनाई कर बनाया जाता हैं। खेस में किसी भी दूसरे धागे की मिलावट नहीं की जाती हैं।
परंपरागत खेसले के धागे के हैंडलूम आइटम
जालौर के लेटा गांव में गृह उद्योगपतियों ने बताया की परंपरागत खेसले की बुनाई के लिए धागा पाली के महाराज श्री उम्मेद मील से लिया जाता है, जिससे खेसले, टावल, चदरे हैंडलूम आइटम बनाते हैं। ये स्थानीय कारीगर बहुत सफाई से पक्के रंगों वाली सूत बनाते हैं। जालौर के खेसलों को बनाने में कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग नहीं किया जाता है, बल्कि इसे पूरी तरह हाथ से बनाया जाता हैं।
खेसरे की खरीद
अगर आप भी इसे खरीदना चाहते हो तो आपको जालौर जाने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि इस डिजिटल के दौर के समय में हमें सब कुछ बड़े ही आसानी से मिल जाता हैं। इसलिए आप इस पारंपरिक तरीके से बना खेसले को ऑनलाइन खरीद सकते हैं, जिसकी एक जोड़ी की कीमत ₹500 से 1000 रुपए है, इन खेसलों की लंबाई करीब 8 फीट और चौड़ाई 4.5 फीट होती हैं।
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