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Rajasthan Kutti Art: पश्चिमी राजस्थान की खास कुट्टी कला देश-विदेश में काफी फेमस है। यह कला मूगलों के जमाने से चलती आ रही है। चलिए आपको इसकी विशेषताएं बताते हैं।

Rajasthan Kutti Art: राजस्थान एक ऐसा राज्य है जिसने अपनी संस्कृति, परंपरा, वेशभूषा, खान-पान को सदियों से सजा कर रखा हुआ है। यहां लोग न केवल खूबसूरत इमारतें या यहां के नजारे देखने आते है, बल्कि सालों से रखी हुई धरोहर को भी देखने और पहचानने आते है। यहां की मिट्टी और उससे बने हुए पात्रों की खरीदी विदेशों तक होती है। 

क्या है कुट्टी कला?

राजस्थान के हर हिस्से में आपको अलग प्रकार की कला देखने को मिल जाएगी। वहीं अगर बात करें पश्चिमी राजस्थान की तो वहां कुट्टी यह फिर कुट्टे की कला बेहद मशहूर है। पश्चिमी राजस्थान में बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर आदि शहर शामिल है। 

कैसे की जाती है कुट्टी कला?

कुट्टी कला के पात्र बनाने के लिए कोई पुराना कागज या गत्ते को मिलाकर के लग्दी तैयार की जाती है। उसे फिर एक मोटी लकड़ी की मदद से अच्छे से कूटा जाता है। इसी कारण इसे कुट्टी कला से जाना जाता है। इसके बाद इस मिश्रण से विभिन्न प्रकार के पात्र तैयार किए जाते हैं। इसे करने के लिए किसी कारीगर की जरूरत नहीं होती है, बल्कि महिलाएं इसे अपने घर पर तैयार करती हैं।

कश्मीर से हुई थी शुरुआत 

भारत में इस कला की शुरुआत कश्मीर से हुई थी। आज भी वहां इस कला के प्रमाण देखने को मिलते हैं। यह कला ईरान से भारत में आई थी। इस कला से लोग प्लेट, कटोरी, चम्मच आदि पात्र बनाते है। मुगलों के काल में कुट्टी बनाने वाले महाराजा रामसिंह जी के काल में जयपुर आकर रहने लगे थे। समय के साथ यह कला आगे बढ़ती रही।

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