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Music of Rajasthan: मांगणियार समुदाय का पौराणिक इतिहास सिंध प्रांत से जुड़ा हुआ है। ये कलाकार धर्म से मुस्लिम हैं, लेकिन उनके गीत स्थानीय महाराजाओं, पुराने युद्धों, सिकंदर महान और हिंदू धर्म से जुड़ी संस्कृति और त्योहारों पर आधारित होते हैं।

Music of Rajasthan: मौजूदा दौर में लोकगीतों को बचाए रखना आज के नए लोक गायकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। आधुनिक सभ्यता और पाश्चात्य संगीत के प्रभाव में लोक गायकों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। लेकिन, मांगणियार समुदाय के गायकों ने राजस्थानी लोकगीतों को दुनिया में अलग पहचान दिलाई है।

इसके पीछे वजह यह है कि इनके लोकगीतों को शास्त्रीय वाद्य यंत्रों (खड़ताल और कमैचा) के समावेश के साथ बॉलीवुड में भी पेश किया जाता है। जिसे आज राह चलते यात्रियों की भाषा में गुनगुनाए जाने वाले धुनों से समझा जा सकता है। मांगणियार समुदाय के लोक गायकों ने अपनी गायकी और वाद्य यंत्रों से बॉलीवुड समेत पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित किया है।

लोकगीत का शाब्दिक अर्थ

यह तो सभी जानते हैं कि देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह की संस्कृति है। अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। सभी राज्यों का अपना पौराणिक इतिहास है। सभ्यता की दृष्टि से भी भिन्नताएं देखी जा सकती हैं। क्षेत्रवाद के आधार पर अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं। कुल मिलाकर इस लिहाज से भी हमारे देश की खूबसूरती अन्य देशों से कहीं ज्यादा है, क्योंकि भारत में विभिन्न प्रकार की संस्कृति, भाषा, त्योहार और सभ्यता का सामंजस्य देखने को मिलता है।

लोकगीत का शाब्दिक अर्थ जानने से पहले हमें यह समझना होगा कि यह दो शब्दों से मिलकर बना है। लोक और गीत जो अलग-अलग शब्द हैं। विकिपीडिया के अनुसार लोकगीत शब्द अंग्रेज विलियम थॉमस ने 1846 में गढ़ा था। उनके अनुसार यह शब्द लोक और विद्या के मिश्रण से बना है। लोक द्वारा रचित, लोक के बीच लोकप्रिय और लोक के लिए लिखे गए गीतों को लोकगीत कहते हैं।

मांगणियार लोक गायक का इतिहास

मांगणियार समुदाय का पौराणिक इतिहास सिंध प्रांत से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में इस समुदाय के लोक गायक बॉलीवुड से लेकर विश्व के विभिन्न मंचों पर देखे जा सकते हैं। हालांकि ये कलाकार धर्म से मुस्लिम हैं, लेकिन उनके गीत स्थानीय महाराजाओं, पुराने युद्धों, सिकंदर महान और हिंदू धर्म से जुड़ी संस्कृति और त्योहारों पर आधारित होते हैं। मांगणियार समुदाय वंशानुगत पेशेवर संगीतकारों की श्रेणी में पहले स्थान पर आता है।

जो वर्तमान समय में उनकी विरासत को मजबूत करता है। इस समुदाय के लोक गायकों के घरों से कमायचा, खड़ताल, ढोलक और मोरचंग की दिल को छू लेने वाली ध्वनियाँ सुनी जा सकती हैं। जो उनकी खूबसूरती को एक नया आयाम स्थापित करती हैं। इस समुदाय के बच्चों को 4-5 साल की उम्र से ही गायन की शिक्षा दी जाती है। इससे ये बच्चे कम उम्र में ही परिपक्व गायक के रूप में उभर कर आते हैं और पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।

बॉलीवुड में मांगणियार लोक गायकों की मांग बढ़ी

मांगणियार लोक गायक स्वरूप खान आज के समय में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। दुनिया उन्हें पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ उनकी सुरीली आवाज के लिए जानती है। इंडियन आइडल-5 के मंच पर जलवा बिखेरने वाले स्वरूप खान हॉलीवुड व बॉलीवुड संगीतकारों व निर्माताओं के साथ काम कर चुके हैं। जैसलमेर जिले के बईया गांव में जन्मे स्वरूप खान विश्व विख्यात पॉप गायिका लेडी गागा के साथ गीत गा चुके हैं।

उन्हें यह मौका मशहूर संगीत निर्देशक सलीम सुलेमान निर्देशित एक अंग्रेजी एलबम में मिला था। इसके अलावा वे देश के कई मशहूर संगीतकारों व गायकों के साथ स्क्रीन शेयर कर चुके हैं। इनमें बप्पी लहरी, सुखविंदर सिंह आदि के नाम शामिल हैं। स्वरूप खान के पार्श्व गायन के जलवे कई फिल्मों में भी सुनने को मिले हैं। इनमें 2014 में पीके बॉलीवुड फिल्म का गाना ठरकी छोकरो, 2016 में फिल्म धनक का मेहंदी व 2018 में हिंदी फिल्म मुक्काबाज का बहुत हुआ सम्मान मशहूर हैं।

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