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Medtani Ki Bawdi: भारत के नागरिकों के लिए अपने पूरे देश का भ्रमण करना कई देशों की यात्रा करने के समान होता है। यहां के गहरे समुद्र के तट, झीलें, बर्फ से ढकी वादियां और जंगल जैसे स्थान पर्यटन के प्रमुख केंद्र हैं। उनमें ही एक शामिल मेडतनी की बावड़ी जहां पर नहाने से कुष्ठ रोग ठीक होता है।

Medtani Ki Bawdi: भारत में घूमना अपने आप में कई देशों की यात्रा करने के समान है। यहां की विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं, आभूषणों और परिधानों का संगम सभी को आकर्षित करता है। गहरे सागरों के तट, झीलें, बर्फ से ढकी वादियाँ और घने जंगल पर्यटन के प्रमुख केंद्र हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों प्रयास कर रही हैं। हर पर्यटन स्थल तक पहुंचने के लिए बेहतर रास्तों की तलाश की जा रही है। यदि आप भारत की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इन अद्भुत स्थानों को जरूर शामिल करें; इनके बिना आपकी यात्रा अधूरी रहेगी।

अगर आपकी योजना राजस्थान घूमने की है, तो मेड़तनी की बावड़ी का दौरा आपके अनुभव को और भी खास बना देगा। यह बावड़ी झुंझुनू में, देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 275 किलोमीटर दूर स्थित है, और इसकी प्राचीनता, सुंदरता और कलात्मकता इसे एक अनूठा स्थल बनाती है।

मेड़तनी की बावड़ी का इतिहास

इस भव्य और वास्तुकला के दृष्टिकोण से समृद्ध बावड़ी का निर्माण झुंझुनू के हिन्दू शासक शार्दुल सिंह शेखावत की रानी मेड़तनी जी ने 1783 ईस्वी में कराया था। इसी कारण इसे मेड़तनी की बावड़ी के नाम से जाना जाता है। इस बावड़ी के निर्माण पर उस समय लगभग 70 हजार रुपये खर्च हुए थे। इसके एक तरफ एक सुंदर कुआं है, जबकि दूसरी ओर मुख्य द्वार से जल स्तर तक पहुंचने के लिए सैकड़ों सीढ़ियाँ बनाई गई हैं। बावड़ी की गहराई लगभग 150 फीट है और यह तीन विशाल खंडों में विभाजित है।

इस बावड़ी में स्नान करने से ठीक हो जाते थे त्वचा रोग

कहा जाता है कि इस बावड़ी में स्नान करने से त्वचा रोग ठीक हो जाते थे। झुंझुनू के निवासियों का मानना है कि पुराने समय में इस बावड़ी का विशेष महत्व था। उस समय, राहगीर बिना रस्सी और बाल्टी के अपनी प्यास बुझाने आते थे।

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