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चांदनगांव को वीरों का गांव भी कहा जाता है, क्योंकि इस गांव के हर परिवार में से कोई ना कोई भारतीय सेना में भर्ती हो चुका है। यह गांव राजस्थान की गंभीर नदी के किनारे बसा हुआ है।

राजस्थान के करौली जिले में स्थित श्रीमहावीरजी तहसील का चांदनगांव को वीरों का गांव भी कहा जाता है, क्योंकि यह देश का एकलौता ऐसा गांव है जहां के हर इंसान में देश की मट्टी के लिए भरपूर प्रेम है। ऐसा माना जाता है कि इस गांव के हर परिवार में से कोई ना कोई भारतीय सेना में भर्ती हो चुका है। इस गांव से कई फौजी देश के बड़े युद्थों में अपना योगदान दे चुके हैं। यहां 500 से ज्यादा फौजी देश की कई सुरक्षा बलों जैसे थल, जल और वायु सेना में तैनात है। चांदनगांव का हर नौजवान इन सुरक्षा बल में भर्ती होने के लिए मेहनत कर रहा है। 

कारगिल युद्ध जैसे बड़े वॉर में दे चुके हैं योगदान 

बता दें कि यह गांव राजस्थान की गंभीर नदी के किनारे बसा हुआ है। 5 हजार के आबादी वाले इस गांव से अकबरपुर और नौरंगाबाद भी जुड़े हुए हैं। चांदनगांव ने देश को ऐसे कई फौजी दिए हैं, जिन्होंने देश पर हुए हमले जैसे आजाद हिंद फौज और कारगिल युद्ध में अपना योगदान दिया है। गांववालों ने युद्ध में अपना बलिदान दे जुके शहीदों के सम्मान में उनकी स्मारक बनवाई है। इस गांव की मिट्टी में कुछ बात है, जो यहां के छोटे से छोटे बच्चे को सेना में शामिल होने के लिए प्ररित करती है। बचपन से ही हर बच्चे के मन में देश के लिए मिट जाने का जूनन होता है। 

सुबह सड़क पर दौड़ते नजर आते हैं युवा 

अपने परिवार और गांव के गौरव को आगे बढ़ाने के लिए यहां के हर किशोर दिन-रात मेहनत करते हैं। यहां की खास बात यह है कि इन बच्चों के माता-पिता को इनके फौज में जाने से कोई आपत्ति नहीं होती है। आपको हर सुबह 4 बजे से गांव की सड़कों पर युवा दौड़ते और मेहनत करते हुए दिखाई दे जाएंगे। हर परिवार की पीड़ी से कोई ना कोई फौज में अपना योगदान देता है। यह परंपरा सालों से चलती आ रही है। अपने माता पिता से पूर्वजों की कहानी सुनकर बड़े हुए बच्चों को भी अपने देश के लिए मिट जाने की प्रेरणा मिलती है।

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