Rajasthan Famous Carpets: नागौर का टांकला गांव दो प्रमुख कारणों से विश्व प्रसिद्ध है। यहां की हस्तनिर्मित दरियां और किशनदास जी महराज का मंदिर। वर्तमान में यहां केवल दो दरी उद्योग सक्रिय हैं, जो अपनी मजबूत बनावट के लिए जाने जाते हैं। हम एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं, जो खेती के साथ-साथ अपनी आय बढ़ाने के लिए दरियां बनाता है। वह पिछले 30 वर्षों से यह कार्य कर रहा है।
एक समय में टांकला गांव दरियों का प्रमुख केंद्र था, लेकिन अब यहां केवल दो दरी उद्योग ही बचे हैं। दुर्गाराम लिम्बा, जो दरी निर्माण में माहिर हैं, बताते हैं कि उनके पिता ने उन्हें यह कला सिखाई। उनका मुख्य पेशा खेती करना है, और जब उन्हें समय मिलता है, तो वे दरी बनाने का कार्य करते हैं, जिससे उनकी आय में इजाफा होता है। दरी बनाने में काफी समय और मेहनत लगती है। यहां विभिन्न प्रकार की दरियां बनाई जाती हैं, जैसे पंजा दरी, ऊन की दरी, कॉटन की दरी, और छोटी आसनों की दरियां।
हाथों से बनाई जाती है दरियां
यहां की दरियां अपनी अनूठी बनावट और डिजाइन के लिए विश्व स्तर पर मशहूर हैं। इन दरियों की खासियत यह है कि इन्हें पूरी तरह से हाथों से बनाया जाता है। दोनों किनारों पर एक समान चित्रकारी होती है, जिसमें पशु-पक्षियों के साथ देवी-देवताओं की भी छवियां शामिल होती हैं। महत्वपूर्ण यह है कि इन्हें किसी मशीन से नहीं बनाया जा सकता। इनकी रंगाई और मजबूत धागों के लिए भी इनकी खास पहचान है।
अनोखी बनावट के लिए प्रसिद्ध है यह दरियां
टांकला गांव की दरियां न केवल एक हस्तशिल्प का नमूना हैं, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा भी हैं। यहां की दरियां, जो पूरी तरह से हाथों से बनाई जाती हैं, अपनी अनोखी बनावट और कलात्मकता के लिए प्रसिद्ध हैं। हर दरिया में किसान की मेहनत, समर्पण और पारंपरिक कला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।