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Rajasthan Fire Dance: राजस्थान के बीकानेर कतरियासर गांव के सिद्ध समाज के लोगों द्वारा अंगारों पर नृत्य करने की परंपरा को 550 सालों से निभाया जा रहा है।

Rajasthan Fire Dance: राजस्थान की संस्कृति वर्तमान में अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान रखती है, उसी संस्कृति का एक हिस्सा अग्नि नृत्य जिसमें राज्य के एक समाज के लोग दहकते अंगारों पर चलकर नृत्य करते है। इस दौरान उनके मुंह में भी अंगारे रहते है। 

बीकानेर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर बसे कतरियासर गांव के सिद्ध समाज के लोगों की जहां ऐसा अद्भुत नृत्य किया जाता है, यहां हर साल चार बार मेले का आयोजन किया जाता है। मेले के समेय लोग गोरखमलिया समाधि पर सुबह माधा टेकते है और शाम को अग्नि नृत्य पेश करते है।  

गेरूआ साफा बांधकर और सफेद कपड़े करते है डांस 

महंत मोहन नाथ ज्यानी ने जानकारी दी कि डाबला तालाब जहां जसनाथ जी अवतरित हुए थे, उस स्थान पर सभी भक्त एक साथ आते है। इस धाम में दुनिया भर से हजारों लोग शामिल होते है, इस दौरान श्रद्धालु अपने सिर पर गेरूआ रंग का साफा बांधकर और सफेद कपड़े पहले कर नगाड़ों के साथ अंगारों पर चलना शुरू कर देते है। 

पुजारियों का आर्शीवाद पाने के लिए अंगारों पर चलते है लोग

जोरो शोरो से बजते संगीत में लोग दहकते अंगारों पर नाचते है, माना जाता है कि बाबा जसनाथ जी महाराज के पुजारियों का आर्शीवाद पाने के लिए आग पर नाचते है। कई लोगो का कहना है कि बाबा के ये साधु ना केवल अंगारों पर नाचते है बल्कि उसे निगल भी लेते है। 

550 सालों से निभा रहे है परंपरा 

जसनाथ सम्प्रदाय के लोगों के द्वारा करीब 550 सालों से इस परंपरा को निभाते आ रहे है, इस प्रकार का नृत्य केवल कतरियासर में देखने को मिलता है। इसमे सबसे पहले ढेर सारी लकड़ियां जलाकर धूणा किया जाता है, इसके बाद घी का होम कर चारों ओर पानी छिकड़ा जाता है। फिर लोग इसके आस-पास परिक्रमा करते हैं और फिर अपने गुरू की आज्ञा से अंगारों पर चलना शुरू करते है।

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