Rajasthan Top 5 Singers: राजस्थान की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण उसकी संस्कृति, लोकगीत, लोकनृत्य हैं। इसके अलावा अगर हमें भारत की आत्मा के दर्शन करने हैं, तो हमे राजस्थानी गायकों को सुनना होगा। राजस्थान के लोकगीत को विश्वस्तर पर ले जाने वाले इन गायकों के नाम इला अरुण, स्वरूप खान, मामे खान, सरताज खान, सर्वर खान, अल्लाह जिलाई बाई हैं। इन्होंने बहुत से राजस्थानी गीत लिखे, जिन्हें सुनकर आज भी पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं।
प्रमुख पांच राजस्थानी गायकों के बारे में
1. इला अरुण - राजस्थानी गानों की बात करें और इला अरुण का नाम न लिया जाए, ऐसा हो ही नहीं सकता। इन्होंने बॉलीवुड में एक अभिनेत्री की भी भूमिका निभाई है। इनके द्वारा गाए हुए गीत आज भी सुने जाते हैं। इन्होंने जोधा अकबर,बेगम जान, लम्हे और शादी के साइड इफेक्ट्स फिल्मों में भी भूमिका निभाई है। इनके द्वारा लिखा गया "चोली के पीछे" सबसे लोकप्रिय गीत है। इला अरुण को फिल्म फेयर में सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
2. मामे खान - मामे खान राजस्थान के ही नहीं बल्कि भारत के सबसे बड़े लोकप्रिय गायकों में से एक हैं। इनका जन्म जैसलमेर के एक छोटे से गांव में हुआ था। इनको पारंपरिक जांगड़ा संगीत में महारत हासिल है। इनके लोकप्रिय गीत चौधरी, मिथो लागे ओर केसरिया बालम हैं।
3. सरताज खान और सरवर खान - ये गायक दोनों 11 साल के बचे हैं। इन्होंने बचपन में ही राजस्थानी गीतों से ऐसी प्रसिद्धि हासिल की है, जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। साल 2016 की आमिर खान की सबसे लोकप्रिय फिल्म 'दंगल' के लिए इन्होंने अपनी आवाज दी थी। फिल्म का प्रसिद्ध गाना 'बापू सेहत के लिए' इन्हीं की आवाज में गाया गया है। इनके गीतों में आनंद के साथ मनोरंजन भी होता है। बच्चों के इनके गीत ज्यादा अच्छे लगते हैं।
4. स्वरूप खान — स्वरूप खान भी राजस्थान के प्रमुख गायकों में से हैं। इन्होंने टेलीविजन के संगीत से शो 'इंडियन आइडल' से अपनी पहचान बनाई थी। इन्हें खड़ताल और मोरचंग वाद्ययंत्रों को अच्छी तरह बजाना भी आता है। इनका सबसे प्रसिद्ध गीत बॉलीवुड की फिल्म पीके के लिए था, जिसका नाम ठरकी छोकरो है। इन्हें धरोहर विरासत पुरस्कार, हमलोग पुरस्कार, बिग एफएम राइजिंग पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। इनके गीतों ने मुक्केबाज, पद्मावत और फिल्मीस्तान जैसी फिल्मों में भी अपनी पहचान बनाई है।
5. अल्लाह जिलाई बाई — इन्हें बचपन से गायकी का शोकं था। क्योंकि इनका लालन पालन भी एक गायक फैमिली में हुआ था। इन्होंने हुसैन बख्श खान और अच्छन महाराज से संगीत सी शिक्षा भी ली थी। इन्हें पिछड़ी हुई संगीतकार भी कहते हैं। इन्हें मांड, ठुमरी, दादरा और ख्याल गायकी में सिद्धि हासिल थी।
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