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Rajasthan Gindar Dance: राजस्थान के शेखावाटी में चूरू जिले के राजलदेसर में होले के अवसर पर गींदड़ नृत्य पेश किया जाता है। गींदड़ नृत्य में विभिन्न देवी-देवताओं और साधु-साध्वियों की अलग-अलग मुद्राओं को दर्शाता है।

Rajasthan Gindar Dance: होली के खास मौके पर देश के हर राज्य में अलग तरीके से त्यौहार मनाया जाता है। राजस्थान की बात करें तो यहां होली पर शेखावाटी का गींदड़ नृत्य किया जाता है। शेखावाटी में भी सबसे ज्यादा चूरू जिले के राजलदेसर में गींदड़ नृत्य पेश किया जाता है। इस अनोखे डांस को देखने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं। 

राजलदेसर में पांच दिन तक चलता है उत्सव 

चूरू जिले के राजलदेसर गांव में होली के पांच दिन पहले से यह कार्यक्रम शुरू कर दिया जाता है। इस गींदड़ नृत्य की तैयारियां फाग के रसियों द्वारा की जाती है। यह केवल न राजलदेसर में बल्कि पूरे राज्य में धूम धाम से मनाया जाता है। 

साल 1607 में शुरू हुआ था गींदड़ नृत्य 

मान्यताओं के मुताबिक प्रदेश का मुख्य गींदड़ डांस सबसे पहले साल 1607 में राव बीका की बेटी राजसी की ओर से जागिर मिलने की खुशी में पहली बार होली के अवसर पर इस नृत्य को किया गया था। 

411 सालों पुरानी परंपरा 

राजलदेसर की यह परंपरा 411 सालों से निभाई जा रही है। बता दें कि यह नृत्य मुख्य बाजार चौक और गांधी चौक पर होली से पांच रात्रि पहले फाल्गुनी एकादशी से शुरू कर दिया जाता है। इसमें गींदड़ जगहों को बंदनवारों और लड़ियों से सजाया जाता है। साथ ही इन सभी जगहों के बीच लगभग 15 फीट ऊंचे मंच को भी दुल्हन की तहर सजाया जाता है।  

झलकती है राजस्थान की लोक संस्कृति 

राजस्थान के इस मशहूर नृत्य में राजस्थान की लोक संस्कृति झलकती है। दुग्ध ध्वल पूर्णिमा की रात में लोग गिंदड़ नृत्य करते हुए नजर आते हैं, साथ ही इसे देखने के लिए कई दूर-दूर से लोग आते हैं। इसके अलावा यहां विभिन्न प्रकार की जाति और धर्म की एकता देखने को मिलती है। गींदड़ नृत्य विभिन्न देवी-देवताओं और साधु-साध्वियों की अलग-अलग मुद्राओं को दर्शाता है।

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