Rajasthan Bishnoi Samaj: राजस्थान में अलग-अलग जनजाति और समुदाय के लोग रहते हैं। बिश्नोई समुदाय भी उनमें से एक है। ये राजस्थान के हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। प्रकृति संरक्षण और जानवरों के प्रति इनका खास लगाव है। ये हिरण को अपना आराध्य मानते हैं।
गौरतलब है कि इस समुदाय की महिलाओं का जानवरों के प्रति प्यार और सम्मान की कहानी पूरी दुनिया में मशहूर है। आज इस लेख के जरिए हम जानेंगे कि बिश्नोई समुदाय की महिलाएं हिरणों को अपने बच्चों की तरह प्यार करती हैं।
बिश्नोई समाज हिरण को मानते हैं पूज्य
प्रकृति संरक्षण के अलावा विश्वोई समुदाय की जानवरों के प्रति दयालुता हमेशा से ही सराहनीय रही है। इस समुदाय के लोग प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखने के लिए वर्तमान समय में भी काम करते आ रहे हैं। इसकी निशानियां इनकी बस्तियों में देखी जा सकती हैं। इस समुदाय के लोग हिरण को अपना पवित्र हिरण मानते हैं और इसकी रक्षा के लिए अपनी जान तक लगा देते हैं।
बता दें कि, इस समुदाय का इतिहास सदियों पुराना रहा है। जिसमें हमेशा बहादुरी का सार देखने को मिलता है। जानवरों के प्रति इनके प्रेम और सम्मान की वजह से ही इनके आसपास हिरण नजर आते हैं। मालूम हो कि ये लोग इनके खान-पान और स्वास्थ्य का खास ख्याल रखते हैं। अगर किसी कारणवश किसी छोटे हिरण की मां की मृत्यु हो जाती है तो इस समुदाय की महिलाएं उसकी मां की भूमिका निभाती नजर आती हैं।
हिरण के बच्चों को देती है मां जैसा प्यार
मौजूदा समय में लोगों का पशुओं और जानवरों से मोहभंग होता जा रहा है। लेकिन, विश्नोई समाज की महिलाओं का हिरणों के प्रति विशेष प्रेम आज पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत है। प्रकृति की खूबसूरती को पशुओं और जानवरों के जरिए ही कायम रखा जा सकता है। इस लिहाज से इस समाज की महिलाओं का कार्य पूजनीय है।
जानकारी हो कि इस समाज की महिलाएं जरूरतमंद हिरण के बच्चों को अपने बच्चों की तरह प्यार और देखभाल करती हैं। जरूरत पड़ने पर हिरण को स्तनपान कराकर उसे नया जीवन देने से भी पीछे नहीं हटतीं। हाल के दिनों में इसके हजारों वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं। जिसमें विश्नोई समाज की बहादुरी और सम्मानजनक कार्य राजस्थान की खूबसूरत संस्कृति में चार चांद लगा रहे हैं।
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