Goga Ji Maharaj History : हिंदु मान्यताओं के मुताबिक भगवान को प्याज या लहसुन का भोग नहीं लगाया जाता है। लेकिन राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में ऐसा अनूठा मंदिर है जहां लोग भगवान को प्रसन्न करने के लिए प्याज और दाल का भोग चढ़ाते है। यहां हर साल लाखों की संख्या में लोग यहां आते है और लोक देवता गोगाजी की धोक लगाते है। ऐसा माना जाता है कि उत्तर प्रदेश गोगाजी का ससुराल है और ससुराल से लोग नाचते-गाते और पीले वस्त्र पहनकर हाथों में प्याज और दाल लेकर भगवान का भोग लगाते हैं।
मंदिर से जुड़ी मान्यता
ऐसा कहा जाता है कि करीब 1000 साल पहले गोगाजी और मोहम्मद गजनवी के बीच युध्द हुआ था। जिसके लिए गोगाजी ने कई जगहों से सेनाएं बुलाई थीं। इसी बुलावे पर सैनिक अपने साथ रसद में प्याज व दाल लेकर आए थे। इसी कारण से यहां प्याज और दाल चढ़ाने की मान्यता है। दोनों के बीच हुए युध्द में गोगाजी वीरगति को प्राप्त हो गए थे। जिसके बाद वापसी में सैनिकों ने गोगाजी की समाधि पर प्याज और दाल अर्पित कर दिए थे। तभी से इस मंदिर में प्याज और दाल चढ़ाने की परंपरा चलती आ रही है। गोगाजी के भक्त उन्हें जाहर वीर और जाहर पीर के नाम से भी जानते हैं।
कौन थे गोगाजी
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में गोगाजी को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। आपको बता दें कि गोगाजी का जन्म राजस्थान के चूरू जिले के दादरेवा गांव में चौहान वंश के शासक के रूप में हुआ था। गोगाजी गोरखनाख के शिष्य थे। गोगाजी के भक्त उन्हें सर्प का देवता नाम से भी जानते है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यदि सर्प दंष से प्रभावित इंसान गोगाजी की पूजा करता है और उनके मंदिर में जाता है तो उसका विष खत्म हो जाता है और वह मुक्त हो जाता है।