Bhilwara Textile City: अगर कपड़ा उद्योग से जुड़े शहरों की बात करें तो राजस्थान के भीलवाड़ा शहर का नाम कई मायनों में सबसे पहले आता है। यहां के कारखानों में कपड़े की बुनाई और सूत की कताई दुनियाभर में मशहूर है। दुनिया के नक्शे पर इस शहर को 'टेक्सटाइल सिटी' के नाम से जाना जाता है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार भीलवाड़ा समेत अन्य शहरों की औद्योगिक इकाइयों को मजबूत करने में लगी हुई है। इसका असर अब दिखने लगा है। इस शहर की मिलों और कारखानों में हर साल करीब 150 करोड़ मीटर कपड़े का उत्पादन होता है। वहीं अगर व्यापारियों के सालाना टर्नओवर की बात करें तो यह करीब 25 हजार करोड़ रुपये बताया जाता है।
भीलवाड़ा में कपड़ा उद्योग की शुरुआत
भीलवाड़ा में कपड़ा उद्योग की शुरुआत 1936 में हुई थी। उस समय यहां चलने वाली पहली मिल मेवाड़ टेक्सटाइल थी। इस मिल से बने बनियान पूरी दुनिया में मशहूर थे। कहा जाता है कि 1970 से पहले यहां सिर्फ दो ही कपड़ा उद्योग चल रहे थे। हालांकि, इस शहर को अलग पहचान दिलाने में लक्ष्मी निवास झुनझुनवाला का बड़ा योगदान रहा है।
उनके नेतृत्व में भीलवाड़ा उद्योग समूह ने 1962 में राजस्थान स्पिनिंग एंड वीविंग मिल की स्थापना की। इसके बाद इस शहर में कपड़ा उद्योग दिन-प्रतिदिन बढ़ता गया और आज यह पूरी दुनिया में अपनी कार्यकुशलता के लिए जाना जाता है।
हजारों परिवारों को मिलता है रोजगार
भीलवाड़ा में करीब एक हजार कंपनियां काम कर रही हैं। जो राजस्थान की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान दे रही हैं। आज भीलवाड़ा की मिलों से बने कपड़े देश के हर शहर में बिक रहे हैं। इसके अलावा यहां के सूटिंग कपड़े वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश, पश्चिम एशिया और अफ्रीकी देशों में भी मशहूर हैं। यहां की औद्योगिक इकाइयों से करीब 50 हजार श्रमिकों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।
वहीं, अगर अप्रत्यक्ष श्रमिकों की बात करें तो इनकी संख्या भी करीब 25 हजार बताई जाती है। हाल के दिनों में भीलवाड़ा में आधुनिक मशीनों से लैस उद्योग भी संचालित होने लगे हैं। यहां की कपड़ा फैक्ट्रियों में राजस्थान के अलावा दूसरे राज्यों से आए श्रमिक भी काम करते हैं। इनमें उड़ीसा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के श्रमिकों की संख्या ज्यादा है।
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