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Rajasthan History- राजस्थान के नागौर की धरती अपने संघर्षों के लिए जानी जाती है। यहां समय-समय पर अनेक द्वंद हुए, जिसमें राजपूताना साम्राज्य और मुस्लिम शासको के बीच भीषण संघर्ष देखने को मिला।

Rajasthan History- नागौर में होने वाले संघर्ष को राजस्थान के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है। ये संघर्ष नागौर क्षेत्र में हुआ था, जो प्राचीन समय में सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण केंद्र था। ये संघर्ष मुख्य रूप से शक्तिशाली राजपूत साम्राज्य और मुस्लिम शासकों के बीच संघर्ष का परिणाम था। नागौर के संघर्ष न केवल क्षेत्रीय संघर्ष थे, बल्कि वह राजस्थान के इतिहास में राजपूतों की वीरता, साहस और रणनीति की गाथा भी है। नागौर का क्षेत्र राजस्थान के राजनीतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

राव जोधा और फिरोजशाह तुगलक के बीच

नागौर पर तुगलक वंश के फिरोजशाह तुगलक का कब्जा था। मेवाड़ के एक प्रमुख शासक राव जोधा ने नागौर को स्वतंत्र करने के लिए संघर्ष किया और इस युद्ध में राजपूतों की वीरता और संगठन शक्ति देखने को मिली।

मारवाड़ और नागौर के बीच का युद्ध

नागौर पर मुस्लिम शासकों का शासन था, लेकिन मारवाड़ के राठौड़ों ने इसे अपनी ताकत के बल पर अधिक करने का प्रयास किया। इसमें नागौर के शासकों और मारवाड़ के राठौड़ों के बीच अलग-अलग संघर्ष होते रहे।

अकबर और नागौर के बीच संघर्ष 

मुगल सम्राट अकबर ने राजस्थान के अन्य भागों की तरह नागौर पर भी अपना अधिकार स्थापित किया और अपनी राजपूत नीति के तहत नागौर के राजाओं ने मुगलों से संधि की।

राजपूतों का स्वतंत्रता संग्राम 

यह क्षेत्र कई बार मुगलों और राजपूतों के बीच विवाद का केंद्र बना। यहां के स्थानीय योद्धाओं ने बाहरी आक्रमणकारियों और मुगलों के खिलाफ काफी संघर्ष किया।

नागौर युद्ध का महत्व

यह युद्ध राजनीतिक महत्व से क्षेत्र के शासकों और बाहरी आक्रमणकारियों के बीच सत्ता संघर्ष को दर्शाता है। वहीं, सांस्कृतिक प्रभाव यह पड़ा कि इन युद्धों ने नागौर की संस्कृति, कला और स्थापत्य पर भी प्रभाव डाला। नागौर का सामरिक और व्यापारिक महत्व होने के कारण यह आर्थिक पहलू से भी युद्ध का केंद्र बना रहा।

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