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Rajasthan Lac bangles: राजस्थान की धोरों की धरती चूरू जिले में कई प्रकार आकर्षित लाख के चूड़ों बनाए जाते है। त्योहार और शादी के समय में भारी संख्या में लाख के चूड़ों के ऑर्डर लिए जाते है।

Rajasthan Lac bangles: राजस्थान का चूरू जिला लाख के चूड़ों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। धोरों की धरती में बनने वाले इन लाख के कंगनों को खूब पंसद किया जाता है। सनातन संस्कृति में इस प्रकार के चूड़ों का अलग ही महत्व है। फैशन के बदलते दौर में भी आज भी इस प्राचीन कला की महिमा बरकरार है। यूं तो हर सीजन में इनकी खूब ब्रिक्री होती है लेकिन त्योहार और शादी के समय में भारी संख्या में लाख के चूड़ों के ऑर्डर लिए जाते है। 

कला से जुड़ें कारीगरों ने बताया कि त्योहारों पर मांग बढने के चलते कई प्रकार के आकर्षित कंगन, बंगड़ी, चूड़ा, कड़े व दुल्हन सेट तैयार किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि कच्चे माल का स्टॉक दिल्ली और हरियाणा से खरीदा जाता है। घूमने आए सैलानियों को इस प्रकार के चूड़ों सबसे ज्यादा पंसद आते है। देश विदेश से लोग खास मौकों के लिए लाख के चूड़ों का ऑर्डर देते है।

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अखंड सुहाग का माना जाता है प्रतीक
माना जाता है कि लाख की चूड़ी सुहागन महिलाओं के लिए अखंड सुहागन रहने का प्रतीक होता है। वहीं सनातन संस्कृति में लाख की चूड़ी महिलाओं की कलाई पर सौभाग्य और समृद्धि का भी प्रतीक मानी जाती है। विवाह या प्रसव के समय राज्य में महिलाओं को लाख का नया चूड़ा पहनाया जाता है। ग्रामीण परिवेश समेत छोटे शहरों और कस्बों में इन चूड़ों को लेकर कई लोकगीत गीत गाने की भी परंपरा है। 

खास मौकों पर तैयार की जाती है यह डिजायन
लाख के चूड़ों के कारोबार से जुड़े 78 वर्षीय हाजी मनीरदीन मणियार ने जानकारी दी कि शादी, त्यौहार या करवा चौथ के व्रत के समय महिलाएं अक्सर लाख का चूड़ा खरीदती है। इस दौरान कई प्रकार के आकर्षित और खास डिजाइन वाले अनारकली, पन्ना कड़ा, मेथी का चूड़ा, केरा कड़ा, मेशे का चूड़ा, पंच बधिया चूड़ा और लहरिया चूड़ा तैयार किए जाते है। इसके साथ ही शादी में दुल्हन को पहनाने के लिए हिंगळू बंग बगड़ी भी बनाई जाती है। लाख के चूड़ों के अलावा चीड़, कांच व कुंदन आदि की जड़ाई की जा रही है।

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