करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती हैं। करवा चौथ के दिन करवा माता की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा शहर में स्थित करवा चौथ माता का मंदिर 567 साल पुराना है और इसका निर्माण राजा भीम सिंह ने 1451 में करवाया था। यहां पर सुहागिन महिलाएं करवा माता की पूजा करती हैं। आइए इस मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मंदिर की कहानी
कहते हैं कि राजा भीम सिंह शिकार करने जाया करते थे। एक दिन वह शिकार के दौरान किसी हिरण का पीछा करते-करते रास्ता भटक गए और सैनिकों से दूर चले गए। वहीं, राजा को प्यास लगी और पानी नहीं मिलने की वजह से वो बेहोश हो गए। तभी चौथ माता ने राजा की मदद की और उनको पानी पिलाया।
मान्यता है कि राजा ने माता को देखा और उनसे माता से अपने प्रांत में ही विराजमान होने के लिए कहा। इस पर करवा माता ने राजा को तथास्तु कहकर अदृश्य हो गईं। इस तरह वहां पड़ी चौथ माता की मूर्ति राजा अपने साथ अपने प्रांत ले गए और साल 1451 में चौथ माता मंदिर बनवाया।
मंदिर की विशेषताएं
राजस्थान के करवा चौथ माता का मंदिर विवाहित जोड़े के लिए काफी लोकप्रिय है। यहां पर विवाहित व सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर अपने सुहाग की रक्षा के लिए करवा माता से प्रार्थना करती हैं।
कहते हैं कि यहां पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। करवा चौथ माता के मंदिर जाने के लिए लगभग 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है क्योंकि मंदिर 1100 फीट ऊंचाई पर है। राजस्थान के करवा माता का मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है।
बता दें कि करवा माता के मंदिर के गर्भगृह में चौथ माता की मूर्ति की पूजा होती है इसके साथ भगवान गणेश और भैरवनाथ की भी पूजा की जाती है। यहां पर कई सालों से एक अखंड ज्योत जल रही है।
करवा चौथ पर विशेष आयोजन
करवा चौथ पर माता रानी के मंदिर और दरबार को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और चांद को देखकर व्रत खोलती हैं। इस दिन मंदिर में भारी भीड़ देखने को मिलती है।
इस तरह करवा चौथ माता का मंदिर राजस्थान की एक अनोखी धर्मस्थली है, जो शादीशुदा महिलाओं के लिए बहुत खास है।