Rajasthan Lah Tradition: देश जहां आधुनिकता के दौड़ में इस कदर आगे बढ़ रहा है कि वो अपनो को भी भूल ज रहै है। वहीं राजस्थान का एक ऐसा गांव जहां एकता की भावना अभी भी मौजुद है, जिनमें एकता के साथ अपनी संस्कृति से जुड़े रहने को सबसे ऊपर समझा जाता है। ये अपने पारंपरिक तरीको से ही खेतों का काम करते हैं।
सामूहिक सद्भावना को दर्शाती लाह परंपरा
भारत पाकिस्तान सीमा पर बसे बाडमेर व जैसलमेर जिलो में सामूहिक सद्भावना को यहां की एक लाह परंपरा के कारण आज भी ये एकता की भावना लोगों के दिलों में है। इस परंपरा को यहां के बड़े बूढ़ों द्वारा शुरू किया गया था। जिसमें सभी किसान परिवार साथ मिलकर खेत की फसल की कटाई करते हैं। वहीं इस परंपरा में लोगो द्वारा बिना किसी मजदूरी के मिलजुलकर कर काम किया जाता है।
बटेंगे तो कटेंगे नारे की भावना
इस परंपरा में बटेंगे तो कटेंगे के नारा दिया जाता है। जिसके माध्यम से गांव के लोग एक साथ मिलजुलकर रहने और एकता का संदेश बढ़ावा देते हुए आ रहे हैं। ये संदेश दशकों से ग्रामीण जीवन का आधार बना हुआ है। जिसमें किसी के अकेले होने पर उसके साथ मिलकर साथ में फसल कटवाने जैसे काम किए जाने की लाह परम्परा एक अनूठी मिसाल देती है।
गाने गाते झूमते करते है फसल कटाई
इस परंपरा की वजह से महीनों में कटने वाली फसल को गांव के किसान मिलकर एक ही दिन में काट कर पूरा कर देते हैं। इस लाय परंपरा की सबसे खास बात ये है कि सभी किसान गाने गाते झूमते हुए फसल को काटते हैं। वहीं इसमें महिलाओं की जिम्मेदारी की स्वादिष्ट भोजन बनाने की होती है। ये खाने में शुद्ध गाय घी में खाना बनाया जाता हैं।
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