Rajasthan Unique Village: राजस्थान के सोनेला पंचायत के मालीपुरा कुसमा गांव के सांखला माली जाति के लोगों द्वारा आज भी एक परंपरा निभाई जाती है। यहां लोग अपने पूर्वजों के दिखाए रास्ते पर चलकर किसी भी पशुओं का दूध और छाछ नहीं बेचते है। इस गांव का निर्माण भगवान राम के पुत्र कुश के वंशजों द्वारा किया गया था। मान्यता है कि लोग यहां दूध बेचने को अपने बेटे को बेचने के बराबर का पाप समझा जाता है। यहां प्रतिदिन गांव में लगभग 300 लीटर दूध होता, लेकिन गांव के लोग किसी को भी पैसे के बदले दूध नहीं देते है, बल्कि दही जमाकर सुबह छाछ बनाते है और उसे फ्री में लोगों को उपलब्ध कराते है। साथ ही इससे बनने वाले घी से ही भगवान की पूजा की जाती है।
25 से ज्यादा परिवार करते है खेती और पशुओं की सेवा
राजस्थान के सिरोही के कुसमा मालीपुरा में कुल 25 परिवार खांखला माली जाति से संबंध रखते है। ये परिवार गांव में रहकर खेती करते है और पुशओं की सेवा करते है। यहां के 80 वर्षीय कसनाराम सांखला ने बताया कि यह परंपरा सालों से चलती आ रही है। हमारे पूर्वजों ने कभी भी दूध नही बेचा और ना ही उनका परिवार दूध का धंधा करता है। यहां दूध को बेचना को अपने बच्चे को बेचने के बराबर माना जाता है। मंदिरों में होने वाले भजन कीर्तनों या किसी धार्मिक कार्यक्रम में सारा दूध, छाछ और दही मुफ्त में दी जाती है।
छाछ के लिए गर्मियों में लगती है लंबी कतार
गर्मियों के समय गांव की महिलाएं हर दिन सुबह चार बजे से बिलौना करती और छाछ बनाती है, जो लोगों को फ्री में बांटी जाती है। छाछ के लिए गांव के लोगों द्वारा लंबी लाइन लगाई जाती है। साथ ही घर छाछ लेने आए किसी भी व्यक्ति को खाली हाथी नहीं जाने देते है।
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