दुल्हन या किसी भी महिला के सोलह सिंगार में मेहंदी का गहरा लाल रंग उसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता है। सोजत की मेहंदी, जो इस लाल रंग के लिए जानी जाती है, जो कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। राजस्थान के पाली जिले के सोजत और उसके आस-पास के क्षेत्रों में लगभग 60,000 हेक्टेयर में मेहंदी की खेती होती है।
130 देशों से होता है व्यापार
सोजत और उसके आसपास के क्षेत्रों की मिट्टी में लॉसोनिया इनर्मिस (लासोन कंटेंट) की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो मेहंदी की गुणवत्ता में योगदान करती है। सोजत की मेहंदी को विश्वभर के 130 देशों में निर्यात किया जाता है, जिससे यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक महत्वपूर्ण उत्पाद बन चुकी है।
सिर्फ सोजत से 130 देशों में मेहंदी का निर्यात किया जाता है और यहां मेहंदी का वार्षिक कारोबार 4,000 करोड़ रुपए के करीब पहुंच रहा है। हाल ही में विवाह के बंधन में बंधी अभिनेत्री कैटरीना कैफ ने भी सोजत की मेहंदी का उपयोग किया था।
कैसे आता है गहरा रंग
सोजत की मिट्टी में लॉसोनिया इनर्मिस की उच्च मात्रा के कारण यहां की मेहंदी का रंग गहरा और आकर्षक होता है। इसके साथ ही, मिट्टी में तांबे की भी प्रचुरता है। इस क्षेत्र की मेहंदी को देश में सबसे उत्तम किस्मों में से एक माना जाता है।
सोजत मंहदी को मिल चुका है जीआई टैग
जीआई (भौगोलिक संकेत) दर्जा एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पादों, जैसे हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान, के लिए दिया जाता है। यह दर्जा उत्पाद के नाम, गुणवत्ता और विशेषता की गारंटी प्रदान करता है, जो इसके उत्पादन के स्थान से संबंधित होती है। उदाहरण के लिए, दार्जिलिंग चाय, तिरुपति लड्डू, कांगड़ा पेंटिंग, नागपुर संतरा और कश्मीर का पश्मीना भारत में पंजीकृत जीआई उत्पाद हैं। एक बार किसी उत्पाद को जीआई दर्जा मिल जाने पर, कोई अन्य व्यक्ति या कंपनी उस नाम का उपयोग करके समान वस्तुएं नहीं बेच सकती। यह दर्जा दस वर्षों के लिए मान्य होता है और इसके बाद नवीनीकरण किया जा सकता है।