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राजस्थान के लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा पर अत्यधिक गर्व महसूस करते हैं, जो न केवल उनकी पहचान को दर्शाती हैं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक हैं।

Traditional Dress Of Rajasthan: राजस्थान, भारत का एक अद्भुत राज्य, अपनी समृद्ध संस्कृति और इतिहास के लिए जाना जाता है। यहां की पारंपरिक पोशाक न केवल स्थानीय लोगों की पहचान को परिभाषित करती हैं, बल्कि यह उनके जीवन के तरीके, रीति-रिवाजों और परंपराओं का भी प्रतीक है। रंग-बिरंगे कपड़े, भव्य गहने और आकर्षक डिजाइन राजस्थान की पारंपरिक पोशाक के अनिवार्य अंग हैं। आइए जानते हैं राजस्थान की पारंपरिक परिधानों के विभिन्न पहलुओं के बारे में।

जूती

राजस्थान में पुरुष और महिलाएं दोनों जूती या मोजड़ी पहनते हैं। ये जूते मुख्यतः जानवरों की खाल से बनाए जाते हैं, जो उनकी लंबी उम्र और आरामदायक उपयोग के लिए जाने जाते हैं। जयपुर, जोधपुर, और जैसलमेर जैसे शहरों में बने जूते न केवल स्थानीय लोगों द्वारा, बल्कि पूरे देश में पहने जाते हैं। चमड़े के इन जूतों पर जटिल कढ़ाई और अलंकरण किया जाता है, जिससे यह और भी आकर्षक बन जाते हैं। शादियों, पार्टियों और त्योहारों के दौरान खूबसूरत जूती पहनना आम है, जो पहनावे को चार चांद लगाती हैं।

महिलाओं के पारंपरिक आभूषण

राजस्थानी पोशाक में सिर्फ वस्त्र ही नहीं, बल्कि आभूषण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहां की महिलाएं माथे के लिए मांग, कानों के लिए झुमके, और हाथों के लिए चूड़ा पहनती हैं। इसके साथ ही, बहुरंगी चूड़ियां, खूबसूरत हार, बड़ी पायल, अंगूठियां और नथ भी उनकी पहचान बनते हैं। हर एक आभूषण के पीछे एक गहरी पवित्रता और अर्थ होता है।

घाघरा और चोली

घाघरा राजस्थानी महिलाओं का एक प्रमुख परिधान है, जो स्कर्ट के समान होता है। इसे शरीर के निचले हिस्से में पहनते हैं और यह कमर से लेकर टखनों तक फैला होता है। घाघरा विभिन्न रंगों और डिजाइनों में उपलब्ध होता है, जिसमें सुंदर कढ़ाई और आकर्षक डिजाइन होते हैं। इसके साथ में पहनने वाली चोली, जो एक प्रकार का ब्लाउज है, आमतौर पर कपास या रेशम से बनी होती है और इसे खूबसूरत कढ़ाई के साथ सजाया जाता है।

ओढ़नी

ओढ़नी एक महत्वपूर्ण वस्त्र है, जो ब्लाउज के ऊपर पहना जाता है। इसका एक सिरा स्कर्ट में और दूसरा सिरा सिर या कंधों पर रखा जाता है। ओढ़नी 2.5 से 3 मीटर लंबे और 1.5 से 2 मीटर चौड़े कपड़े से बनाई जाती है, जो विभिन्न रंगों और डिजाइनों में उपलब्ध होती है। कुछ क्षेत्रों में, ओढ़नी को घूंघट के रूप में पहनना अनिवार्य होता है, विशेषकर बड़ों के सामने सम्मान दिखाने के लिए। इसका रंग अक्सर घाघरा के रंग से मेल खाता है, जिससे पहनावे की सुंदरता बढ़ जाती है।

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