Rajasthan Mining Policy: राजस्थान में विभिन्न खनिज ब्लॉकों की ई-नीलामी की अधिसूचना को सीएम भजनलाल शर्मा ने मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है जिस प्रकार से इस सरकार नई खनिज नीति, एम-सेंड नीति, ड्रोन सर्वे तथा एमनेस्टी स्कीम के सहारे खनन क्षेत्रों में सुधारों को लागू किया है। उसने पिछले वित्त वर्षों में हजारों करोड़ के राजस्व की प्राप्ति की है। इसके साथ ही संगठित तथा असंगठित रूप में इस क्षेत्र ने लाखों लोगों को रोजगार प्रदान किया है। इस बार भजनलाल सरकार ने खनन क्षेत्र पर विशेष जोर देते हुए दीर्घकालिक लक्ष्य तय कर दिए हैं।
इन खनिज ब्लॉकों की होगी नीलामी
राजस्थान सरकार ने इस ई-नीलामी प्रक्रिया में जैसलमेर, सवाई माधोपुर तथा कोटा के खनिज ब्लॉकों की अधिसूचना को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इनमें प्रमुख रूप से लाइम स्टोन तथा लेड-जिंक की ई-नीलामी पर जोर है। सीएम के अनुमोदन के बाद जैसलमेर जिले में हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में लाइमस्टोन के ब्लॉक पारेवार (SN-1, SN-3, SN-4, पारेवार-ए), खाबिया, खाबिया ईस्ट ब्लॉक। कोटा जिले में लाइम स्टोन के पूर्वेक्षित ब्लॉक निनामा-दुनिया एक्सटेंशन(408.2974 हेक्टेयर)। इसके साथ ही सवाई माधोपुर जिले में चौथ का बरवाड़ा जेड-लिंक ब्लॉक के कम्पोजिट लाइसेंस की ई-नीलामी की अधिसूचना जारी की जाएगी।
रिकार्ड राजस्व की हुई प्राप्ति
विगत वर्षों में राजस्थान ने खनन क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में खनन क्षेत्र से राजस्थान सरकार को 7460.48 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ। तो उससे पहले वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य में 31 खनिज ब्लॉक की नीलामी की गई थी, जिसमें वर्तमान भजनलाल सरकार के पहले 3 माह में ही 15 मिनरल ब्लॉक की नीलामी केंद्र सरकार के पोर्टल के माध्यम से की गई थी। इसी वित्त वर्ष की उपलब्धि के रूप में राजस्थान को ओडिशा में आयोजित नेशनल माइंस मिनिस्टर्स कॉन्फ्रेंस में देश में सर्वाधिक मेजर मिनरल ब्लॉक की नीलामी करने में राजस्थान को प्रथम पुरस्कार दिया गया।
सीएम भजनलाल ने तय किए नए लक्ष्य
भजनलाल सरकार ने सत्ता में आने के बाद अर्थव्यवस्था को विकसित राज्य के रूप में आगे बढ़ाने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए। इसमें राजस्थान खनिज नीति-2024, एम-सेंड नीति-2024 में प्रमुख सुधार किए। इन्हीं सुधार के बल पर राज्य सरकार ने 2029-30 तक जीडीपी में खनन क्षेत्र में 3.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत तथा 2046-47 तक 8 प्रतिशत योगदान बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित कर दिए हैं।
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