Water Conservation Plan: राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा कल शाम 15 जनवरी 2025 को अपने सीएम आवास पर जल संचयन की दिशा में एक संवाद कार्यक्रम आयोजित करेंगे। ‘जल संचय-जन भागीदारी’ विषय पर आधारित इस कार्यक्रम में सीएम भजनलाल के साथ केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल भी संबोधित करेंगे।
कार्यक्रम में राजधानी जयपुर से लगभग 200 उद्योगपतियों सहित समाजसेवियों तथा कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों से संवाद करेंगे। वह अपने भागीरथ प्रयास से राजस्थान को जल आत्मनिर्भर बनाने के लिए लोगों से जुड़ने का आह्वान करेंगे। सबसे पहले सांगानेर विधानसभा से भूमिपूजन कर ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान का शुभारंभ होगा।
जल-संचयन को सीएम का दमदार प्लान
विश्व को यदि जल की कीमत जाननी है, तो राजस्थान में आकर महसूस करें। सदियों से इस राज्य की जनता ने जल संरक्षण और जल संचयन में अग्रणी भूमिका निभाई है, चाहे वो ऐतिहासिक बावड़ियों के रूप में देखें या फिर कूपों और झीलों को संरक्षित करने के रूप में। आधुनिक भारत में भी यह प्रयास जारी हैं।
‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान के तहत जल संचयन का यह कार्यक्रम केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने पिछले वर्ष अक्टूबर में गुजरात से आरंभ किया था, जिसको आशा से कहीं अधिक सफलता मिली। जनभागीदारी का यह अनूठा कार्यक्रम अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है। इसी अभियान को अब सीएम भजनलाल ने राजस्थान के जल संचयन के लिए संजीवनी बनाने का प्रण लिया है। गुजरात सहित अन्य राज्यों में रह रहे राजस्थानी उद्यमी अपने-अपने गृह जिलों में भूजल स्तर को रोकने में इसे लेकर आगे आ रहे हैं।
‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान का उद्देश्य
इस अभियान का उद्देश्य भूजल स्तर में गिरावट से जूझ रहे राजस्थान को जनभागीदारी के माध्यम से वर्षा जल के कुशल प्रबंधन के लिए रिचार्ज शाफ्ट संरचनाओं का निर्माण करना है, जो वर्षा जल का संचयन कुशलतापूर्वक सुनिश्चित कर रही हैं।
बता दें राजस्थान में कम वर्षा होने के कारण भूजल दोहन पर ही सर्वाधिक निर्भर है। इसलिए राज्य का 72 प्रतिशत क्षेत्र अत्यधिक दोहन क्षेत्र हो गया है, जिससे राजधानी जयपुर सहित जोधपुर, सिरोही, झुंझुनू, पाली, भीलवाड़ा जैसे जिले खतरे के निशान पर पहुंच गए हैं। इस अभियान को इन जिलों में प्राथमिकता के आधार पर लागू किया जा रहा है।
हर बूंद का होगा संरक्षण
इस अभियान का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल रिचार्ज शाफ्ट संरचनाओं का निर्माण करना है, जिससे वर्षा जल को सतह के साथ ही भूगर्भीय जल का भी पुनर्भरण सुनिश्चित करना है। ताकि घरेलू उपयोग के साथ ही कृषि कार्य हेतु भी उपलब्धता रहे।
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