Rajasthan Panchayat Elections: राजस्थान में लगभग 7 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने वाला है। इसके बाद नए सरपंचों के चयन की प्रक्रिया होनी है। लेकिन एक राज्य एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ने की दिशा में राजस्थान को भी देखते हुए अब तक पंचायत चुनावों की तस्वीर स्पष्ट रूप से सामने नहीं आ सकी है।
ऐसे में पंचायती राज विभाग ने ग्राम समितियों तथा ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और नवसृजन की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। जो अप्रैल 2025 तक चलेगी। राजस्थान सरकार ने भी पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर के रूप में एक 5 सदस्यीय कैबिनेट कमेटी का गठन कर दिया है। जो पुनर्गठन अधिनियम के तहत एक प्रस्ताव तैयार करेगी।
पुनर्गठन के चलते टलेंगे पंचायत चुनाव
कैबिनेट कमेटी के गठन के साथ ही ग्राम पंचायतों तथा ग्राम समितियों के नवसृजन और पुनर्गठन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। जिसे पूरा होने में अप्रैल 2025 तक का समय लग जाएगा। ऐसे में पंचायत चुनावों का टलना तय हो गया है। वहीं शेष ग्राम पंचायतों का कार्यकाल भी सितंबर 2025 तक समाप्त हो जाएगा। तो माना जा रहा है कि एक राज्य एक चुनाव की दिशा में अन्य सभी आगामी चुनावों को सरकार एक साथ आयोजित करा सकती है।
इस स्थिति में ग्राम पंचायतों का कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे इसकी वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में राज्य सरकार ग्राम पंचायतों के लिए प्रशासकों की नियुक्ति कर सकती है अथवा अन्य विकल्प के रूप में एक समिति बनाकर भी संचालन का कार्य उसको सौंप सकती है। बहरहाल सरकार ने अभी इस दिशा में कोई निर्णय नहीं लिया है।
सरपंचों को प्रशासकों की नियुक्ति नामंजूर
बता दें पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर पिछले माह ही स्पष्ट कह चुके हैं कि ‘प्रशासक नियुक्त होंगे या नहीं इसका फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया जाएगा। वन स्टेट वन इलेक्शन के तहत पंचायती राज संस्थाओं तथा सहकारी संस्थाओं के साथ स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं। किन्तु सरकार के उलट सरपंचों की मांग हैं कि कार्यवाहक के रूप में कार्य करने का अवसर दिया जाए और पंचायतों का फंड जल्द से जल्द जारी किया जाए। उन्होंने स्पष्ट कर दिया प्रशासकों की नियुक्ति के कदम के सख्त खिलाफ हैं।
सरकार के फैसले का सरपंचों को इंतजार
राजस्थान सरपंच संघ के अध्यक्ष बंशीधर का मानना है कि सरकार को झारखंड, उत्तराखंड तथा मध्य प्रदेश की भांति आगे बढ़ना चाहिए। जहां एमपी में सरकार ने ग्राम पंचायतों की समिति बनाकर सरपंचों को उसका अध्यक्ष बनाया है, तो उत्तराखंड में सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त कर दिया है। वहीं झारखंड में विधेयक लाकर ग्राम पंचायतों का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। उपरोक्त में से किसी एक विकल्प पर निर्णय तय माना जा रहा है। हालांकि मदन दिलावर पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि कोई भी अंतिम निर्णय सीएम के स्तर पर ही होगा।
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