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Rajasthan Budget 2025: राजस्थान की भजनलाल सरकार आगामी बजट को लेकर कई अन्य संगठनों से लगातार बैठक कर रही है। अब लोक कलाकारों ने भी अपनी कला संस्कृति तथा लोक संस्कृति को बचाने की गुहार लगाई है।

Rajasthan Budget 2025: राजस्थान की भजनलाल सरकार फरवरी माह में राज्य का बजट 2025-26 विधानसभा में प्रस्तुत करने जा रही है। इस बार के बजट में सीएम भजनलाल हर एक वर्ग को साथ लेकर आगे बढ़ने के प्रयासों में लगे हुए हैं। इसी दिशा में बजट से पहले राजस्थान सरकार राज्य कर्मियों, उद्योगपतियों, किसानों तथा कई अन्य संगठनों से लगातार बैठक कर रही है।

अब राजस्थान के लोक कलाकारों ने भी आगामी बजट में अपनी कला संस्कृति तथा लोक संस्कृति को बचाने की गुहार लगाई है। उनका मानना है कि हमने बड़े-बड़े उद्योगपतियों तथा भामाशाहों से आग्रह किया किन्तु कुछ न हुआ।

लुप्त होती कला को बचाने की गुहार

बाड़मेर की कलाकार कॉलोनी में रहने वाले राजस्थानी अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार फकीरा खान विशाला ने पीएम मोदी तथा सीएम भजनलाल सरकार के काम की प्रशंसा की है। राजस्थान की लोक गायकी की बात करते हुए कहा कि यह कला प्रायः लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। इसको बचाने के लिए हम भजनलाल सरकार से आग्रह करते हैं कि इसको पुनर्जीवित करने के लिए गुरु-शिष्य परंपरा को फिर से स्थापित करने में सरकार उपाय करे।

जहां-जहां गांवों में संगीत भवन बने हुए हैं, वहां के बुजुर्ग कलाकारों को लगाकर नई पीढ़ी को सिखाने की व्यवस्था करें। इसके लिए भजनलाल सरकार से आग्रह है कि अनुदान राशि के साथ ही अन्य सुविधाओं को स्थापित किया जाए। ताकि इस कला को बचाया जा सके।

वाद्य यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित करें

लोक कलाकार मुस्ताक खान बताते हैं कि हमारी कलाएं बहुत पुरानी हैं। नई पीढ़ी को इससे जोड़े रखने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके लिए बजट से हमें बहुत आशाएं हैं। सरकार को वाद्य यंत्रों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए। लोक कलाकारों का कहना है कि इस कलाकार कालोनी में लगभग 300 परिवार रहते हैं। यहां कोई स्कूल-सड़क तक नहीं हैं। सरकार नई पीढ़ी को लोक गायकी सिखाने के लिए ठोस कदम उठाए, इसके स्कूल, वाद्ययंत्र स्कूल स्थापित करवाए।

घुमंतु सूची में जोड़ने की मांग

उन्होंने इसके साथ ही मांग की कि हमारी जाति राष्ट्रीय सूची में घुमंतू जाति के रूप में शामिल है जबकि राज्य सूची में नहीं। ऐसे में मांगणियार, मिरासी, लंगा, दमामी, ढाढ़ी आदि जातियों को घुमंतू जाति की सूची में जोड़ा जाए।  

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