The Rajasthan Laws Repeal Bill, 2025 Passed in Assembly: राजस्थान विधानसभा में आज 24 मार्च सोमवार को भजनलाल सरकार ने ‘राजस्थान विधियां निरसन विधेयक, 2025’ पारित कर दिया। इस विधेयक के तहत राज्य में लंबे समय से अप्रचलित, अनुपयोगी हो चुके 45 कानूनों को खत्म कर दिया गया। इससे पहले बिल पर सदन में चर्चा के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। चर्चा का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है समय-समय पर अप्रचलित तथा अनुपयोगी हो चुके कानूनों को हटाया जाता रहा है।
गहलोत सरकार का दिया हवाला
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने पर सफाई देते हुए कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने तो 123 अप्रचलित कानूनों को निरस्त किया था, जिसमें से 100 तो अमेंडिंग थे। जबकि वर्तमान में तो 45 कानूनों को निरस्त करने की अनुशंसा की गई है। इनमें 37 कानून तो मूल कानूनों में ही समाहित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि समय-समय पर कानूनों की समीक्षा होती है। इस संबंध में भी गत वर्ष दिसंबर में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी से अप्रचलित कानूनों की सूची मांगी गई थी।
इन कानूनों को किया समाप्त
राजस्थान विधियां निरसन विधेयक 2025 के जरिए 1952 से 2021 के मध्य लागू किए गए 45 अनुपयोगी कानूनों को समाप्त किया गया है। इनमें-
1952 -1965 के कानून
• बीकानेर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड(अमेंडमेंट)एक्ट,1952
• जयपुर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड(अमेंडमेंट)एक्ट,1952
• जोधपुर म्युनिसिपल अधिनियम,1955
• राजस्थान पंचायत समिति तथा जिला परिषद (संशोधित) अधिनियम,1962
• राजस्थान पंचायत अधिनियम 1964
1966-1983 के कानून
• राजस्थान पंचायत विधि(संशोधन) अधिनियम 1966
• राजस्थान पंचायत समिति तथा जिला परिषद (संशोधन) अधिनियम, 1976
• राजस्थान पंचायत अधिनियम 1983
1986-2015 के कानून
• राजस्थान पंचायत विधि(संशोधन) अधिनियम 1966
• राजस्थान पंचायत समिति तथा जिला परिषद (संशोधन) अधिनियम, 1987
• राजस्थान पंचायती राज (संशोधन) अधिनियम 2015
• राजस्थान सूचना का अधिकार(निरसन) अधिनियम 2006
2016-2021 के कानून
• राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम, 2016
• राजस्थान पंचायती राज(संशोधन) अधिनियम, 2018
• राजस्थान पंचायत अधिनियम, 2019
• राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम, 2021
बता दें सदन में चर्चा के दौरान सरकार ने तर्क देते हुए कहा कि ये अप्रासंगिक हो चुके कानून प्रशासनिक कार्यों में अनावश्यक जटिलता पैदा कर रहे थे। अतः इनके समाप्त हो जाने से गवर्नेंस में सुगमता के साथ पारदर्शिता आएगी।
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