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राजस्थान के भजनलाल मंत्रिमंडल में 30 अप्रैल से पहले ही बहुप्रतीक्षित फेरबदल हो सकता है। इस संबंध में सीएम भजनलाल इस सप्ताह एक बार फिर नए नामों को लेकर दिल्ली जा सकते हैं।

Rajasthan Cabinet Reshuffle: राजस्थान के भजनलाल मंत्रिमंडल में एक बड़े फेरबदल का रास्ता साफ हो गया है। लंबे अंतराल के बाद इस फेरबदल पर केंद्रीय नेतृत्व की मुहर लग गई है। इसके साथ ही कैबिनेट मंत्रियों की तरफ से अपनी-अपनी संभावनाओं को मजबूत करने के लिए दिल्ली यात्राओं की शुरुआत हो चुकी है। बता दें ऐसे संकेत हैं कि 30 अप्रैल से पहले ही यह बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि कई मंत्रियों के कामकाज से केंद्रीय नेतृत्व नाखुश है तो कई नए चेहरों को मौका मिलना भी तय है।

इन विधायकों को मिल सकती है जिम्मेदारी

प्राप्त जानकारी के अनुसार कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल में इस अहम फेरबदल को लेकर सीएम भजनलाल को केंद्रीय नेतृत्व की ओर से फ्री हैंड दिया गया है। इसलिए माना जा रहा है कि सीएम कुछ मंत्रियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर प्रोमोट भी कर सकते हैं। इनमें मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। वहीं कई विधायकों को संसदीय सचिव भी बनाया जा सकता है। जिन विधायकों को मंत्रिमंडल में मौका मिलने की आशा जताई जा रही है उनमें फलोदी विधायक पब्बाराम विश्नोई, बाली विधायक पुष्पेंद्र सिंह, निंबाहेड़ा विधायक श्रीचंद कृपलानी तथा केकड़ी विधायक शत्रुघ्न गौतम को मंत्री पद का तोहफा दिया जा सकता है।

दिल्ली जा सकते हैं सीएम भजनलाल

प्राप्त जानकारी के अनुसार सीएम भजनलाल इस सप्ताह एक बार फिर मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर दिल्ली जा सकते हैं। जहां संभावित नामों को लेकर केंद्रीय नेतृत्व के साथ चर्चा होगी। माना जा रहा है वहां से वापस आने के बाद कभी भी नामों की घोषणा कर दी जाएगी। बता दें इससे पहले भी गत शुक्रवार को सीएम भजनलाल दिल्ली संघ मुख्यालय केशव कुंज गए थे, जहां उनकी भेंट भाजपा संगठन महामंत्री बीएल संतोष से हुई थी।

किरोड़ी लाल मीणा पर लगी सबकी नजरें

मंत्रिमंडल फेरबदल पर स्थिति स्पष्ट होते ही कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा दिल्ली के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि उनके मंत्रालय को बदला जा सकता है। बता दें इससे पहले किरोड़ी लाल मीणा बजट सत्र 2025-26 से पहले लगातार चर्चाओं में रहे हैं। पूर्वी राजस्थान में उपचुनावों में भाजपा की हार को लेकर उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था। जबकि त्यागपत्र स्वीकार न होने के बावजूद वह समूचे बजट सत्र से अनुपस्थित रहे। हालांकि कुछ दिन पहले उन्होंने हाईकमान के आग्रह पर कामकाज संभाल लिया है।

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