Rajasthan Diwas 2025: आज 30 मार्च 2025 को राजस्थान अपनी स्थापना दिवस का 77 वां वर्ष मना रहा है। आज ही के दिन अपनी अनगिनत शौर्य गाथाओं और राजपुताना राजघरानों की भूमि का भारतीय संघीय व्यवस्था में विलय हुआ था। लेकिन आज भारतीय गणराज्य में राजस्थान का जो भौगोलिक स्वरूप है क्या ये हमेशा से ऐसा ही था? ऐसे कई अनगिनत प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए जानते हैं उनकी रियासतों के विलय और एकीकरण के 7 चरणों की कहानी...
ऐतिहासिक जड़ों की गहराई
राजस्थान का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। यह भौगोलिक क्षेत्र 3000 से 1000 ई.पू सिंधु घाटी सभ्यता के प्रभाव वाला सबसे निकट क्षेत्र रहा है। यहां जहां 7वीं शताब्दी में राजपूतों का और फिर मेवाड़ का स्वर्णिम इतिहास है तो 12वीं शताब्दी के आस-पास चौहान राजाओं का एकछत्र वर्चस्व रहा।
प्रथम चरणः- मत्स्य संघ
प्राप्त जानकारी के अनुसार 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात राजघरानों का भारतीय संघ में एकीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। हालांकि विभाजन के जख्म अलवर और भरतपुर में गहरे थे तो 17 मार्च 1948 को भारत सरकार ने रियासतों के मध्य आपसी सामंजस्य बनाकर उसमें करौली और धौलपुर राज्य को एक साथ लाकर मत्स्य संघ बनाया गया।
दूसरे चरण में बना ‘राजस्थान’ संघ
भारत सरकार के 4 राज्यों के सफल एकीकरण प्रयासों को देखकर दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्वी राजपुताना की 10 और राजघरानों ने संघ में आने की सहमति दे दी। और मात्र मत्स्य संघ के गठन के 8 दिनों के अंदर ही 25 मार्च 1948 को नए ‘राजस्थान’ संघ की स्थापना हो गई। इसमें 14 इलाके कुशलगढ़, बांसवाड़ा, कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, शाहपुरा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर तथा किशनगढ़ शामिल हुए।
तीसरा चरण- ‘संयुक्त राज्य राजस्थान’
इसके बाद मेवाड़ ने राजस्थान संघ में जुड़ने की इच्छा जताई तो 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर राजघराने के साथ मिलकर कुल 15 रियासतों के साथ इसका नया नाम ‘संयुक्त राज्य राजस्थान’ हो गया।
चौथा चरण- ‘ग्रेटर राजस्थान’
इसके बाद ही ये 30 मार्च की तारीख राजस्थान के लिए ऐतिहासिक बन गई और 1949 में इसी दिन 4 और राजघरानों जोधपुर, जयपुर, बीकानेर तथा जैसलमेर ने ‘संयुक्त राज्य राजस्थान’ में विलय कर ‘ग्रेटर राजस्थान’ बना दिया। तब से लेकर आज तक स्थापना दिवस मना रहे हैं।
पाँचवाँ चरण-
पांचवें चरण में 15 मई 1949 में मत्स्य संघ को शंकरराव देव समिति की सुझाव पर ‘ग्रेटर राजस्थान’ के साथ मिला दिया। इससे ‘संयुक्त राज्य ग्रेटर राजस्थान’ का निर्माण हुआ।
छठा चरण-
इस चरण में 26 जनवरी 1950 को राजस्थान के एक मात्र बचे सिरोही राजघराने ने भी विलय में सहमति दे दी। इसके बाद ही वर्तमान नाम राजस्थान निकलकर अंतिम तौर पर स्थापित हो गया।
सातवां चरण-
इस अंतिम चरण में राजस्थान का एक बार फिर पुनर्गठन हुआ और लंबे समय से ब्रिटिश शासन के अधीन रहे अजमेर- मेरवाड़ा इलाके को राजस्थान में मिला दिया गया। इसी चरण में राज्यों के बीच अंतर को समाप्त कर राजप्रमुख तथा महाराज पद समाप्त कर एक राज्यपाल पद का सृजन कर दिया गया।
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